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डोकलाम विवाद: क्या अमरीका से डर रहा है चीन?

  • चीन के सरकारी अख़बार ने मोदी की तारीफ करने के साथ अमरीका पर निशाना साधा है.
  • अखबार लिखता है, "पश्चिम में कुछ ऐसी ताकतें हैं जो चीन और भारत के बीच सैन्य झड़प को भड़काने की कोशिश कर रही हैं."

By BBC News हिन्दी
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शी जिनपिंग, डोनल्ड ट्रंप
FABRICE COFFRINI,MANDEL NGAN/AFP/Getty Images
शी जिनपिंग, डोनल्ड ट्रंप

"भारत और चीन के बीच डोकलाम पर चल रहे विवाद से अमरीका को कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है."

चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने 26 जुलाई के अपने एक लेख में अमरीका समेत कुछ पश्चिमी देशों पर निशाना साधा है.

अखबार लिखता है, "पश्चिम में कुछ ऐसी ताकतें हैं जो चीन और भारत के बीच सैन्य झड़प को भड़काने की कोशिश कर रही हैं. इसमें उनका कोई खर्च नहीं होने जा रहा है और झगड़े की सूरत में फायदा उठाया जा सकता है. अमरीका ने यही तरीका साउथ चाइना सी के विवाद में अपनाया था."

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में अमरीका के अलावा पूर्व सोवियत संघ का नाम लेकर जिक्र किया गया है.

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भारत का पड़ोसी

अख़बार लिखता है, "ये ध्यान दिलाना जरूरी है कि 50 साल पहले भारत और चीन के बीच हुई लड़ाई में अमरीका और सोवियत संघ की अदृश्य भूमिकाएं थीं. भारत को अतीत से सबक लेना चाहिए."

अख़बार ने एक बार फिर से भारत और चीन की आर्थिक हैसियत की तुलना करते हुए कहा है, "चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, भारत का करीबी पड़ोसी भी है. चीन के साथ लड़ाई से केवल भारत को आर्थिक विकास के अवसरों से हाथ धोना पड़ सकता है."

इसके साथ ही ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की एक रिपोर्ट में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कसीदे गढ़े गए हैं.

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मोदी की तारीफ़

26 जुलाई को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक सक्रिय विदेश नीति पर चल रहा है. उसने विदेशी निवेश की नीति में सुधार किया है और घरेलू उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों तक जाने के लिए हौंसला भी बढ़ाया है."

दोनों रिपोर्टों से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमरीका की आलोचना और मोदी की तारीफ़ के साथ भारत को संकेत देने की कोशिश की जा रही है.

शिन्हुआ की रिपोर्ट कहती है, "चीन और भारत दुनिया के दो सबसे बड़े बाज़ार हैं. उनके बीच कारोबार सहयोग और खुली कारोबार नीति की पैरवी से निश्चित रूप से मुक्त विश्व व्यापार को बढ़ावा देने में योगदान हो सकता है. इससे संरक्षणवाद का मुकाबला भी किया जा सकता है."

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ट्रंप प्रशासन

न्यूज़ एजेंसी ने भारत में चीनी राजदूत के हवाले से लिखा है, "भारत की मौजूदा आर्थिक सुधार प्रक्रिया और खुले बाज़ार की नीति बेहद आकर्षक है. वे मेड इन इंडिया को लेकर रणनीतिक तरीके से आगे बढ़ रहे हैं."

अख़बार के अनुसार चीन और भारत दोनों ही देश युद्ध नहीं चाहते. चीन ने अपने ज्यादातर सीमा विवाद अपने पड़ोसियों से बातचीत के जरिए सुलझाए हैं.

लेकिन डोनल्ड ट्रंप प्रशासन को लेकर ग्लोबल टाइम्स उदार नहीं दिखता है.

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पेरिस समझौता

अख़बार लिखता है, "भारत-अमरीका संबंधों में बेहतरी लाने के लिए ट्रंप प्रशासन ने ज्यादा कुछ नहीं किया है. यहां तक कि कारोबार और अप्रवासन के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच मतभेद भी बना हुआ है."

लेकिन भारत और चीन के बीच उन मुद्दों का ख़ास तौर पर जिक्र किया गया है जिन पर दोनों देशों के बीच सहमति है.

उनकी रिपोर्ट कहती है, दोनों विकासशील देश कई मुद्दों पर एक जैसे विचार रखते हैं. उदाहरण के लिए भारत ग्रीन इकोनॉमी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता फिर से दोहराई है. वह पेरिस जलवायु समझौते का चैम्पियन है, लेकिन अमरीका इससे मुकर गया है.

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BBC Hindi
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English summary
Is China afraid of America?.
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