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रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में कैसा रहा है भारत और अमेरिका का रिश्ता?

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत-यूएस रिश्ते पर क्या असर पड़ेगा? रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों का कैसा रहा है भारत के प्रति रवैया?

By Rajeevkumar Singh
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दिल्ली। रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 45 वें राष्ट्रपति चुने गए हैं। चुनाव के दौरान भारत के नजरिए से लोगों का कहना था कि डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति बनना दोनों देशों के रिश्तों के हित में नहीं है।

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आखिर क्यों ट्रंप को माना जाता है भारत के लिए खतरा?

आखिर क्यों ट्रंप को माना जाता है भारत के लिए खतरा?

ट्रंप ने चुनाव अभियान में कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति बनेंगे तो भारत से जॉब को फिर अमेरिका में वापस लाएंगे। वह चीन की तरह भारत को इकॉनोमिक कंपटिटर के तौर पर देखते हैं और अमेरिका के लिए खतरा मानते हैं।

ट्रंप इमिग्रेशन पॉलिसी को कड़ा बनाना चाहते हैं जिससे भारत जैसे देशों से जॉब के लिए अमेरिका आने वाले लोग आसानी से एंट्री न कर सकें। ट्रंप मुस्लिमों के अमेरिका में प्रवेश पर बैन लगाने की वकालत कर चुके हैं।

भारत के बारे में विरोधाभासी बयान!

भारत के बारे में विरोधाभासी बयान!

भारत के बारे में ट्रंप ने जितने भी पॉजिटीव बयान दिए हैं उनमें हिंदुत्व के नजरिए से बातें कही गई हैं। ट्रंप ने कहा, 'मैं हिंदुओं का बहुत बड़ा फैन हूं...मैं हिंदुओं से प्रेम करता हूं।'

हालांकि ट्रंप भारत के साथ रिश्ता मजबूत करने की बात भी करते रहे हैं लेकिन इस बारे में अभी निश्चित नहीं है कि उनका रवैया क्या होगा? उन्होंने भारत के बारे में कई विरोधाभासी बयान दिए हैं और उनका स्वभाव काफी अनप्रेडिक्टेबल माना जाता है।

बराक ओबामा के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्ते अच्छे रहे हैं और उनके कार्यकाल में भारत-अमेरिका के रिश्ते मजबूत हुए इसलिए डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की जीत को भारत के लिए अच्छा माना जा रहा था? अब जब रिपब्लिकन ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके हैं तो भारत के साथ अमेरिका का रिश्ता कैसा होगा?

कई विश्लेषक मान रहे हैं कि इस बारे में ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं है। इतिहास गवाह है कि जॉर्ज डब्ल्यू बुश जैसे रिपब्लिकन राष्ट्रपति भारत समर्थक रहे हैं। आइए जानते हैं कि पिछले कुछ रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में भारत के प्रति अमेरिका का रवैया कैसा रहा?

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जब रोनाल्ड रीगन अमेरिका के राष्ट्रपति थे

जब रोनाल्ड रीगन अमेरिका के राष्ट्रपति थे

1981-88 के बीच अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के रोनाल्ड रीगन राष्ट्रपति थे। वह शीत युद्ध का समय था और विश्व में वर्चस्व के लिए सोवियत यूनियन और अमेरिका अपरोक्ष तौर पर एक-दूसरे के खिलाफ विदेशी धरती पर लड़ रहे थे।

उनके कार्यकाल के दौरान भारत में इंदिरा गांधी और उनके बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहे। शीत युद्ध की वजह से भारत और अमेरिका उस समय एक-दूसरे के करीब नहीं आ सके।

उस समय सोवियत यूनियन ने अफगानिस्तान पर हमला किया था और उससे लड़ने के लिए रोनाल्ड रीगन ने पाकिस्तान की मदद ली। अमेरिका को उस समय पाकिस्तान की जरूरत थी। उसने जिया उल हक सरकार को ढेर सारा पैसा दिया ताकि वो सोवियत से मुकाबला के लिए मिलिशिया को तैयार कर सकें।

जब सीनियर जॉर्ज बुश राष्ट्रपति थे

जब सीनियर जॉर्ज बुश राष्ट्रपति थे

1989-93 के बीच रहे रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के काल में भारत और अमेरिका के रिश्तों में कुछ खास सुधार नहीं हुए।

बुश अपने कार्यकाल में सोवियत रूस के साथ शांति स्थापित करने और खाड़ी देश में इराक के सद्दाम हुसैन के खिलाफ युद्ध लड़ने में व्यस्त रहे। बुश, पनामा और सोमालिया इलाके की समस्या से भी जूझते रहे।

भारत उस समय राजनीतिक और आर्थिक तौर पर समस्याओं से ग्रस्त था। यहां चंद्रशेखर की सरकार थी। एक अमेरिकन फाइटर के भारत में रिफ्यूलिंग के मुद्दे पर इतना हो हल्ला मचा कि चंद्रशेखर सरकार दबाव में आ गई थी। चंद्रशेखर पर गुटनिरपेक्ष नीति से अलग हटकर अमेरिकी साम्राज्यवाद के आगे झुकने के आरोप लगे।

जब जॉर्ज बुश जूनियर राष्ट्रपति बने

जब जॉर्ज बुश जूनियर राष्ट्रपति बने

2001-2008 के बीच रिपब्लिकन पार्टी के जॉर्ज बुश जूनियर राष्ट्रपति रहे। यही वह समय रहा जब भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों में सुधार हुआ और यह मजबूती की तरफ बढ़ा।

11 सितंबर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर बड़ा आतंकी हमला हुआ। तालिबान और आतंकी संगठनों से पाकिस्तान की नजदीकी की वजह से अमेरिका उससे दूर हुआ और भारत के करीब आया।

9/11 के हमले के बाद अमेरिका ने तालिबान के खात्मे का मिशन छेड़ दिया और पाकिस्तान को सहयोग करने को कहा। यही वह समय था जब भारत के साथ अमेरिका ने न्यूक्लियर एनर्जी, क्लाइमेट चेंज और आतंकवादियों के खिलाफ सहयोग पर समझौते शुरू किए।

भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और आंतकवाद के मुद्दे ने अमेरिका-भारत को एक-दूसरे के करीब ला दिया और डेमोक्रेट बराक ओबामा के कार्यकाल में यह रिश्ता और भी मजबूत हुआ।

अब फिर से रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति हैं तो चिंता की बात इसलिए नहीं है क्योंकि अमेरिका की विदेश नीति उसके हितों को देखकर बनाई जाती है और सिर्फ राष्ट्रपति उसे तय नहीं करते।

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English summary
Donald Trump of Republican Party has been elected as new president of US. Will this affect the relationship with India?
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