प्रेस रिव्यू- सीमा पर सड़क निर्माण में चीन से पीछे छूटने की चिंता?
चीन को देखते हुए भारत क्या क़दम उठाने वाला है और अख़बारों की सुर्खियां.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने लिखा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सैनिकों और हथियारों की गतिशीलता बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण में चुनौतियों का सामना कर रही केंद्र सरकार ने अब सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों बढ़ाने का फ़ैसला किया है .
ये फ़ैसला इसलिए किया गया है कि ज़्यादा निर्माण परियोजनाओं का काम जल्द पूरा किया जा सके . लेकिन सच्चाई की गंभीरता को देखें तो 15 साल पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 73 सड़कों में अब तक सिर्फ़ 27 सडकें पूरी हो सकी हैं.
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इसके अलावा, पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों के लिए 14 'रणनीतिक रेलवे लाइनों' का लंबे समय से प्रस्तावित निर्माण पाइपलाइन में है.
चीन ने इसके विपरीत, रेलवे लाइनों, राजमार्गों, धातु-शीर्ष सड़कों, वायु अड्डों, रडार, रसद केन्द्रों और अन्य के एक व्यापक नेटवर्क का निर्माण किया है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि लोकसभा सांसद तथागत सतपथी और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच एक पत्र के आदान-प्रदान चर्चा का केंद्र बना हुआ है.
बीजू जनता दल के नेता ने हिंदी में लिखे गए पत्र का जवाब ओडिया में देते हुए शनिवार को 'हिंदी थोपने की' बहस को फिर हवा दी है.
शुक्रवार को लोकसभा के सांसद ने केंद्रीय मंत्री के चिट्ठी को ट्वीट करते हुए कहा, "केंद्रीय मंत्रियों ने हिंदी को गैर हिंदी भाषी भारतीयों पर क्यों थोप दिया है? क्या यह अन्य भाषाओं पर हमला है?"
तोमर ने 11 अगस्त को सतपथी को लिखा था, उन्हें 'इंडिया 2022' पर एक ज़िला स्तर के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था.
तोमर के हिंदी पत्र को ट्वीट करने के एक दिन बाद, सतपथी ने अपनी प्रतिक्रिया का एक फोटो पोस्ट किया. उन्होंने ट्वीट किया और केंद्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र एस तोमर के हिंदी पत्र को समझने में अक्षमता व्यक्त की.
बाद में, सतपथी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, "मैं सभी भाषाओं का सम्मान करता हूं. लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि ओडिया, बांग्ला और अन्य भाषाएं भी भी सुंदर हैं."
हिंदी विरोधी बहस में देश के कई राज्यों में प्रदर्शन हो चुके हैं, तमिलनाडु में उनमें से एक है. 1965 में विरोध सबसे ज़्यादा हिंसक था, जिसमें 70 से ज़्यादा लोग संघर्ष में मारे गए थे.
हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि भारत में लिंगभेद और नागरिक अधिकारों के इतिहास में ये हफ्ता दिशा बदलने वाला साबित हो सकता है.
इस हफ्ते सुप्रीम कोर्ट मुस्लिमों में तीन तलाक़ और क्या निजता मूलभूत अधिकार है, इस पर अपना फ़ैसला दे सकती है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहार, जिन्होंने दोनों मामलों में सुनवाई की अध्यक्षता की, ने कहा था कि इस फ़ैसले को जल्द ही स्पष्ट कर दिया जाएगा.
सीजीआई 27 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में इन मामलों में फ़ैसले के लिए जस्टिस खेहर के पास पांच दिन बचे हैं.
शायरा बानो मामले में, अदालत यह तय करेगी कि क्या तीन तलाक़ की प्रथा मुस्लिम महिलाओं के ख़िलाफ़ भेदभाव करती है.
उत्तराखंड की शायरा बानो के पति ने अपनी 15 साल की शादी ख़त्म करने का फ़ैसला एक पत्र में तीन बार तलाक़ कर बताया था जिसके ख़िलाफ़ शायरा बानो अदालत गई थीं.
केंद्र सरकार तीन तालाक़ को ख़त्म करने के पक्ष में है, वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस्लामिक प्रथा के मामले में न्यायिक हस्तक्षेप का विरोध किया है.
इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी ने भारत के कई हिस्सों में माओवादियों और जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों को फंड के लिए तरसा दिया है.
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कारण कश्मीर के तनाव ग्रस्त इलाक़ों में पत्थरबाज़ी में शामिल होने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या कम हुई है. उन्होंने कहा कि पहले कश्मीर की गलियों में हज़ारों पत्थरबाज़ निकलते थे लेकिन अब 25 लोग भी इस तरह के प्रदर्शन में इकट्ठा नहीं होते हैं.
जनसत्ता ने लिखा है कि उत्तर प्रदेश में 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा सौम्या दुबे को एक दिन के लिए इलाहबाद का एसएचओ बनाया गया.
ख़बर है कि टैगोर पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाली सौम्या दुबे को रविवार को सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन का स्टेशन हाउस ऑफ़िसर नियुक्त किया गया. दरअसल सौम्या ने 'बिना पुलिस का समाज' पर निबंध प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया था. जिसके बाद उन्हें ये सम्मान दिया गया.