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मोदी के आगे 'धमकी बम' फुस्स होने से झुका चीन, पंचशील की देने लगा दुहाई

सिक्किम में सीमा विवाद को लेकर बीते कई दिनों से धुआंधार ''धमकियों की मशीन गन'' चला रहा चीन अब पैंतरा बदलता दिख रहा है।

By Yogender Kumar
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नई दिल्ली। सिक्किम में सीमा विवाद को लेकर बीते कई दिनों से धुआंधार ''धमकियों की मशीन गन'' चला रहा चीन अब पैंतरा बदलता दिख रहा है। एक दिन पहले तक भारत को 62 की हार से भी बड़ा दर्द देने के दावे करने वाले ड्रैगन को अब पंचशील समझौता याद आ गया है। उसने आरोप लगाया है कि भारत ने पंचशील समझौते को रौंद दिया है। बहरहाल, चीन की बेचैनी समझी जा सकती है। बेचारा लगातार भारत को डराने की कोशिश कर रहा है, पर ऐसा होता दिख नहीं रहा है।

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आखिर क्यों बेचैन है चीन?

पिछले एक हफ्ते से चीनी प्रवक्‍ता और उसका सरकारी मीडिया लगातार धमकियों के बुलेटिन जारी कर रहे हैं। लेकिन जब लगा कि भारत पर उसके सारे 'धमकी बम' बेअसर साबित हो रहे हैं तो अब वह पंचशील समझौते की दुहाई दे रहा है। तीन दिन पहले तक चीन जिस 62 की जंग को भारत को याद दिला रहा था, आज खुद ही उसे भूल गया है। उसे याद नहीं कि जब उसने 1962 में भारत पर आक्रमण किया था, तब भी दोनों देशों के बीच पंचशील समझौता था। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के ''हिंदी-चीनी भाई-भाई'' के नारे को कुचलते हुए चीनी सेना भारत में घुस आई थी। तब उसने इसी समझौते की धज्जियां उड़ा दी थीं।

भारत की राह में बिछा रहा कांटे

भारत की राह में बिछा रहा कांटे

भारत को पंचशील समझौते की याद दिलाने वाला ये वही चीन है, जो दक्षिण चीन सागर से हिंद महासागर तक, बांग्‍लादेश से श्रीलंका तक और नेपाल से लेकर पाकिस्‍तान तक हर जगह भारत की राह में कांटे बिछा रहा है।

चीन की अतिक्रमणकारी नीतियों से पूरी दुनिया परेशान

चीन की अतिक्रमणकारी नीतियों से पूरी दुनिया परेशान

साउथ चाइना सी में वियतनाम और भारत के बीच समझौता चीन को कभी रास नहीं आया। वह श्रीलंका के हम्‍बनटोटा और पाकिस्‍तान के ग्‍वादर में बंदरगाह बना रहा है, ताकि वहां अपने युद्धपोत खड़े कर सके। नेपाल और बांग्‍लादेश के लिए खजाने खोल रहा है। और तो और कैलाश मानसरोवर यात्रा को भी बेशर्म चीन ने रोक दिया है।

सवाल सिर्फ भारत का ही नहीं है, बल्कि वियतनाम, फिलीपींस, इंडोनेशिया, भूटान जैसे देश भी चीन की अतिक्रमणकारी नीतियों से आजिज आ चुके हैं। इन देशों के सामने चीन लगातार अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। भारत के साथ भी पिछले कई वर्षों से वह इसी तरह का बर्ताव कर रहा है। लेकिन बीते कुछ महीनों से उसे कूटनीतिक स्‍तर पर मिल रही हार से वह बौखला गया है।

समझौतों में यकीन नहीं करते चीनी

समझौतों में यकीन नहीं करते चीनी

आपको एक और बात पर गौर करनी चाहिए। चीनियों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे समझौतों में ज्‍यादा यकीन नहीं करते हैं। चीनियों का मानना है कि जहां दोस्‍ती है, वहां कागज के टुकड़े का कोई महत्‍व नहीं और जहां दुश्‍मनी होती है वहां इस तरह के समझौते वैसे ही बेमानी हो जाते हैं। ऐसे में भारत को पंचशील समझौते की याद दिलाने का मतलब आप समझ सकते हैं।

सीमा विवाद नहीं ये है चीन के जलने की असली वजह

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बात बिल्‍कुल सरल है। चीन भी जानता है कि युद्ध कोई विकल्‍प नहीं है, लेकिन अमेरिका और भारत के बीच गाढ़ी होती दोस्‍ती के बीच नई दिल्‍ली को संदेश देना चाहता है कि कदम इतने आगे मत बढ़ाओ। यह मसला सिक्किम का नहीं बल्कि यह मामला है चीन की वैश्विक महाशक्ति बनने की महत्‍वाकांक्षा का है। लेकिन अमेरिका-भारत जब तक साथ रहेंगे तब तक उसका यह सपना कभी पूरा नहीं हो सकेगा।

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English summary
India trampling upon Panchsheel pact, dispute can hit boundary talks: China
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