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काश आज जिंदा होते सद्दाम हुसैन और मुआम्‍मार गद्दाफी!

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वाशिंगटन। सितंबर में रूस के राष्‍ट्रपति ब्‍लादीमिर पुतिन ने कहा था कि अमेरिका और इसकी नीतियों की वजह से ही आज दुनिया के हालात बिगड़ चुके हैं। इसके बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा कि ईराक में सद्दाम हुसैन की मौत अमेरिका की सबसे बड़ी गलती थी।

पढ़ें-दुनिया के वे देश जहां आतंकी हमले हैं एक आम बात

अब एक और उम्‍मीदवार टेड क्रूज ने कहा है कि म‍ीडिल ईस्‍ट के हालात बेहतर होते अगर आज इस क्षेत्र में सद्दाम हुसैन और लीबिया के शासक मुअम्‍मार गद्दाफी जिंदा होते।

जब से आईएसआईएस को ताकत मिली है तब से ही दुनिया के इस सबसे ताकतवर देश और उसकी नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं। अमेरिका की भूमिका पर अब तमाम देश सवाल उठाने लगे हैं।

अमेरिकी जर्नलिस्‍ट बेन स्‍वॉन के मुताबिक जिन-जिन जगहों पर अमेरिका दाखिल हुआ है, वहां पर स्थितियां खराब हो गई हैं।

आगे की स्‍लाइड्स पर नजर डालिए और जानिए कि आखिर कैसे अमेरिका के हस्‍तक्षेप के बाद इराक में हालात बद से बदतर हुए और यहां तक कि पाकिस्‍तान को भी आतंकवाद का एक अलग चेहरा देखने को मजबूर होना पड़ रहा है।

मीडिल ईस्‍ट के बिगड़ते हालात

मीडिल ईस्‍ट के बिगड़ते हालात

अमेरिकी सरकार की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक मीडिल ईस्‍ट में वर्ष 2002 और 2014 के बीच आतंकवाद की वजह से होने वाली मौतों में आश्‍चर्यजनक तौर पर 4,500 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

वर्ष 2003 से पहले

वर्ष 2003 से पहले

वर्ष 2003 में जब अमेरिका ने ईराक में दखल नहीं किया था तो ईराक में सुसाइड अटैक्‍स का आंकड़ा न के बराबर था या फिर था ही नहीं।

बस सुसाइड अटैक से होती हैं मौतें

बस सुसाइड अटैक से होती हैं मौतें

अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2003 के बाद से अब तक ईराक में 1,892 सुसाइड अटैक्‍स हुए हैं।

अब ईराक बना कब्रगाह

अब ईराक बना कब्रगाह

2003 में र्इराक में छिड़े युद्ध से पहले वहां पर करीब 1.5 मिलियन आबादी क्रिश्चियन धर्म को मानने वाले लोगों की थी। युद्ध छिड़ने के बाद वहां से एक मिलियन क्रिश्चियन सीरिया चले गए। लेकिन सीरिया में भी आईएसआईएस के आने के बाद से हालात खराब हो गए हैं।

यूएन भी हैरान

यूएन भी हैरान

सितंबर में अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद से अमेरिका अफगानिस्‍तान में दाखिल हुआ। तब से यहां पर अगर कुछ सुधरा तो बहुत कुछ बिगड़ गया है। पिछले वर्ष यानी 2014 में ही अफगानिस्‍तान में आतंकियों ने 2,643 नागरिकों की हत्‍या कर डाली है। जब से संयुक्‍त राष्‍ट्र ने इस तरह का आंकड़ा रखना शुरू किया है तब से अब तक यह संख्‍या सबसे ज्‍यादा है।

यहां भी बढ़े हैं हादसे

यहां भी बढ़े हैं हादसे

9/11 की घटना से पहले पाकिस्‍तान में सिर्फ एक सुसाइड अटैक हुआ था। लेकिन पिछले 14 वर्षों के दौरान यहां पर 486 सुसाइड अटैक्‍स रिकॉर्ड हुए हैं।

यहां भी हालात जस के तस

यहां भी हालात जस के तस

यहां भी 14 वर्षों में स्थिति जस की तस है। सोमालिया में जहां 88 सुसाइड अटैक्‍स हुए तो यमन में 85, लीबिया में 29, नाइजीरिया में 91 तो सीरिया में यह आंकड़ा 165 है।

आतंक के खिलाफ छेड़ी थी लड़ाई

आतंक के खिलाफ छेड़ी थी लड़ाई

अमेरिका ने अफगानिस्‍तान और ईराक में छह ट्रिलियन डॉलर खर्च कर डाले हैं और यह खर्च बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिकी विशेषज्ञ खुद भी इस आंकड़ें को देखकर हैरान हैं। यानी ईराक और अफगानिस्‍तान के युद्ध पर अमेरिका के हर घर से करीब 75,000 डॉलर की आय खर्च की गई।

कुछ आत्‍महत्‍या करने पर मजबूर

कुछ आत्‍महत्‍या करने पर मजबूर

न सिर्फ अमेरिकी नागरिक बल्कि सैनिक भी इस स्थिति से परेशान है। पिछले 14 वर्षों के दौरान करीब 7,000 अमेरिकी सैनिक शहीद हो चुके हैं। वहीं रोज 22 वेटरन यानी पूर्व सैनिक तनाव और दूसरी वजहों से आत्‍महत्‍या कर रहे हैं।

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English summary
US Presidential candidate Ted Cruz feels that Middle East was in far better situation under Saddam Hussain and Mummar Gaddafi's regime. Terror related activities in this region are on high after the US invasion.
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