कैसे नए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप दे सकते हैं परमाणु हमले का आदेश
फुटबॉल है किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति के परमाणु हमले का आदेश देने के लिए एक खास कोड। इमरजेंसी की स्थिति में अमेरिकी राष्ट्रपति कभी भी परमाणु हमले का आदेश दे सकता है।
वाशिंगटन। रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप अब अमेरिका के राष्ट्रपति होंगे और उनके राष्ट्रपति बनने से पहले परमाणु हमले के बारे में कई तरह की बातें की गईं। अमेरिका के कुछ रक्षा विशेषज्ञों ने तो यहां तक कह दिया कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बने तो फिर उन्हें परमाणु हमले का डर सबसे ज्यादा है।
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ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही परमाणु हथियारों पर चर्चाएं फिर से शुरू हो गई हैं। अमेरिका दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने सबसे पहले अपने परमाणु हथियार का प्रयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान पर किया था। हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए थे।
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क्या कभी आपने जानने की कोशिश की संकट के समय कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति कैसे परमाणु हमले की अनुमति देता है। मतलब उसकी पूरी प्रक्रिया क्या होती है। आइए आज हम आपको उसके बारे में ही बताते हैं।
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आज यह जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि अब रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए कमांडर-इन-चीफ होंगे जो कि परमाणु हमले और हथियारों पर अपने बयानों की वजह से लोगों को डरा चुके हैं।
फुटबॉल कोड वर्ड
न्यूक्लियर फुटबॉल जिसे एटॉमिक फुटबॉल भी कहते हैं दरअसल यह एक ब्रीफकेस होता है और इसके कंटेंट को सिर्फ राष्ट्रपति ही प्रयोग कर सकता है। कमांड सेंटर्स यानी व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम से दूर होने की स्थिति में भी राष्ट्रपति परमाणु हमले का आदेश देने का अधिकार रखते हैं। अमेरिकी रक्षा तंत्र में यह काफी रणनीतिक फैसला माना जाता है। वाशिंगटन पोस्ट की एक खबर के मुताबिक राष्ट्रपति हमेशा सैन्य अधिकारियों के साथ सफर करते हैं और इन अधिकारियों के पास ही परमाणु हथियार लॉन्च करने के कोड् होते हैं।
कैसी होती है फुटबॉल
फुटबॉल का वजन 45 पाउंड यानी 20 किलोग्राम होता है और इसमें एक छोटा सा एंटीना हैंडल के पास दिया रहता है। व्हाइट हाउस मिलिट्री ऑफिस के पूर्व डायरेक्टर बिल गुले ने अपनी किताब ब्रेकिंग कवर में लिखा था कि फुटबॉल में चार चीजें होती हैं। एक ब्लैक बुक जिसमें बदला लेने के विकल्प होते हैं, एक किताब जो अक्सर उन साइट लोकेशंस के बारे में बताती है जहां पर राष्ट्रपति को ले जाया जाता है, एक फोल्डर जिसमें आठ या 10 पेज इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम की प्रक्रिया और कोड से लैस एक तीन बाई पांच इंच का कार्ड होता है। ब्लैक बुक करीब नौ से 12 इंच तक होती है और इसमें 72 पेज होते हैं।
एक मिसाइल या फिर कई मिसाइल
राष्ट्रपति जो कि कमांडर-इन-चीफ भी होते हैं अगर उन्हें परमाणु हथियारों के प्रयोग का आदेश देना होगा तो फिर उन्हें 'कैरियर' लेकर जाएंगे और फिर ब्रीफकेस को खोला जाएगा। एक कमांड सिग्नल या फिर वॉच अलर्ट ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टॉफ को भेजा जाएगा। राष्ट्रपति फिर हमलों के दूसरे विकल्पों का आकलन करेंगे और फिर एक योजना तैयार करते हैं। इस योजना में हो सकता है कि सिंगल क्रूज मिसाइल हमले का आदेश दिया जाए या फिर कई इंटरकॉन्टिनेंटन बैलेस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएसम को लॉन्च किया जाए। इसके बाद कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी के जरिए राष्ट्रपति के साथी नेशनल मिलिट्री कमांड सेंटर के साथ कांटैक्ट करते हैं।
राष्ट्रपति की भी होती है जांच
मिलिट्री इस आदेश को आगे बढ़ाए इससे पहले राष्ट्रपति की भी पूरी तरह से, प्लास्टिक कार्ड पर लिखे स्पेशल कोड जिसे बिस्किट कहा जाता है, पहचान की जाती है। अमेरिका के पास दो व्यक्तियों के शासन की व्यवस्था है और जहां सिर्फ राष्ट्रपति परमाणु हमले का आदेश दे सकता है दूसरे व्यक्ति की पुष्टि अमेरिका के रक्षा सचिव की ओर से की जाती है। अगर हमले में राष्ट्रपति की मौत हो जाए तो फिर एक व्यवस्था के तहत उनका उत्तराधिकारी उसी समय घोषित कर दिया जाता है। एक बार सारे कोड्स वैरीफाइ हो जाने के बाद मिलिट्री हमले शुरू कर देती है।
कौन रखता है फुटबॉल को
फुटबॉल राष्ट्रपति के करीबी मिलिट्री आफिसर के पास रहती है। इनके शेड्यूल को काफी गुप्त तरीके से तैयार किया जाता है और पांच सर्विस ब्रांच में से हर किसी को यह मौका दिया जाता है। यह व्यक्ति अमेरिकी सेना में कमीशंड ऑफिसर होता है। इसका पे स्केल से 0.4 या फिर इससे ज्यादा भी हो सकता है। इस व्यक्ति को काफी कठिन जांच प्रक्रिया जिसे यांकी चेक कहते हैं, उससे गुजरना पड़ता है। इस व्यक्ति को हर पल फुटबॉल को राष्ट्रपति के तैयार रखना पड़ता है। इसे राष्ट्रपति के पास ही खड़े रहना रहता है। यहां तक कि एयरफोर्स वन, मरीन वन और राष्ट्रपति के बेड़े में भी इसे हर पल राष्ट्रपति के साथ ही रहना होता है।
रीगन के हमले के बाद बदला माहौल
फुटबॉल का चलन यूं तो 34वें अमेरिकी राष्ट्रपति ड्यूवाइट डी आइशेनहोवर के समय से मिलता है लेकिन इसका वर्तमान प्रयोग अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के क्यूबा के पास मौजूद मिसाइलों के दुरुपयोग पर उठाए गए सवाल के बाद शुरू हुआ। एपी के एक आर्टिकल के मुताबिक पहले हमले के लिए 'डोरपिक' इस कोड वर्ड का प्रयोग होता थ। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और रोनाल्ड रीगन अपनी जेब में कोड को रखते थे। लेकिन वर्ष 1981 में जब रीगन की हत्या की कोशिश हुई तो कोड कार्ड को तुरंत हटा लिया गया। इसके बाद रीगन को भी फुटबॉल कोड वर्ड से हटा लिया गया। रीगन के अलावा जिमी कार्टर, जॉर्ज बुश सीनियर और बिल क्लिंटन को भी इस कोड वर्ड से हटा लिया गया था।