एक 'इजरायली' जिसने पाकिस्तान को घुटनों पर लाकर बना दिया था बांग्लादेश
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल पहुंच गए हैं और यह यात्रा ना सिर्फ इसलिए खास है क्योंकि पहली बार कोई भारतीय पीएम इजरायल पहुंचे हैं बल्कि इसलिए भी ऐतिहासिक होने वाली है क्योंकि इस दौरे पर कई आर्म्स डील होने की संभावना है। इजरायल और भारत के बीच हमेशा से ही रिश्ते शानदार रहे हैं। इजरायल में जहां भारतीय हिंदू कम्युनिटी के लोग है तो वहीं भारत में कई यहूदी धर्म के लोग बड़ी शांति के साथ रहते हैं। लेकिन भारत में जब भी यहूदी का जिक्र आता है तब शायद कोई भी भारतीय उस यहूदी जनरल को नहीं भूल सकता जिसने अपना पूरा जीवन भारत की सेवा में लगा दिया। जी हां, याद कर रहे हैं जनरल जैकब को जो ना सिर्फ इंडियन आर्मी का हिस्सा रहे बल्कि भारत और इजरायल के बीच रिश्तों को और मजबूत करने के व नए आयाम स्थापित करने के लिए हरसंभव प्रयास किए।
बांग्लादेश को आजाद कराया
आज अगर बांग्लादेश आजादी की सांस ले रहा है तो उसका कारण जनरल जैकब हैं।
1971 के युद्ध के दौरान जैकब पूर्वी आर्मी को लीड कर रहे थे और 'वॉर ऑफ मूवमेंट' की रणनीति के तहत जैकब अपने 3000 सैनिकों को लेकर ढाका में प्रवेश कर लिया। जहां उनका सामना 26400 पाकिस्तानी सैनिकों से हुआ लेकिन जैकब के नेतृत्व में भारतीय सैनाओं ने ढाका पर धावा बोल दिया और पाकिस्तानी सैना भारतीय सेना के आगे कहीं नहीं टिक सकी। करीब दो सप्ताह तक भारतीय सेना ढाका में ही जमी रहीं उस दौरान तत्कालीन पाकिस्तानी जनरल एएके नियाजी ने संघर्ष विराम के लिए जैकब को लंच पर आमंत्रित। जैकब अपने सिर्फ एक कमांडर को लेकर पाकिस्तान पहुंच गए और नियाजी को सिर्फ 30 मिनट देते हुए कहा कि या तो बिना किसी शर्त और सार्वजनिक रूप से सरेंडर कर दें या फिर भारत की तरफ से हमला झेलने के लिए तैयार रहे। उसके दूसरे दिन ही नियाजी ने अपने 93000 सैनिकों के साथ जनरल जैकब के कहने पर भारतीय सेना के आगे सरेंडर कर दिया।
रिटायर होने के बाद भी जैकब देश सेवा में लगे रहे
जैकब एक यहूदी परिवार से ताल्लुक रखते थे जिनका जन्म 1923 में कलकत्ता मे हुआ था। पढ़ाई में हमेशा से ही इंटैलिजेंट रहे जैकब बहुत अच्छे कवि भी थे और हमेशा से ही सेना का हिस्सा बनना चाहता थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जैकब ब्रिटिश आर्मी का हिस्सा बने उस दौरान उन्होंने नाजी के खिलाफ युद्ध में भाग लिया था। लेकिन 1947 में जब भारत आजाद हुआ तब जैकब ने इंडियन आर्मी ज्वॉइन कर ली। भारत 1965 व 1971 के युद्ध में जनरल जैकब के रोल को कभी भूल नहीं सकता। 1978 में भारतीय सैना से रिटायर होने के बाद जैकब ने कई राज्यों में गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दी।
जब इजरायली राष्ट्रपति ने भेजा जैकब को खत
जैकब ने भारत-इजरायल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के लिए नए आयाम तैयार किए। साल 2015 में इजरायली राष्ट्रपति शिमोन पेरेस ने जैकब के लिए एक खत भेजा था जिसमें उन्होंने कहा था कि 'मुझे यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि इजरायल के रिश्ते भारत से कैसे है लेकिन फिर भी मैं आपकी सहायता के लिए प्रशंसा करना चाहता हूं। हमें गर्व है कि एक यहूदी भारतीय होने के नाते आपने अपने देश के डिफेंस और डेवलपमेंट में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है और विश्वास कीजिए कि आपकी यह कोशिश दोनों देशों के दोस्ती को और गहरी और व्यापक बनाएगी'।
जैकब यहूदी से पहले एक भारतीय थे
पिछले साल 98 वर्ष की उम्र में जनरल जैक जैकब का देहांत हो गया लेकिन वो हमेशा कहते थे कि मैं एक यहूदी जरूर हूं लेकिन इससे पहले मैं एक भारतीय हूं। इस देश ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मैं यहीं पैदा हुआ हूं और यहीं मरना चाहूंगा।