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इस वजह से नागाशाकी बना था परमाणु बम का निशाना

जापान का नागाशाकी परमाणु बम के निशाने पर नहीं था, लेकिन क्या हुआ..?

By मोहनलाल शर्मा - बीबीसी संवाददाता
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परमाणु धमाका
Getty Images
परमाणु धमाका

छह अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया गया. बताया गया कि परमाणु बम के धमाके के बाद हिरोशिमा में 13 वर्ग किलोमीटर के इलाक़े में तबाही मच गई.

एक झटके में हज़ारों लोगों की मौत हो गई. इससे होने वाली नुकसान का जब तक पूरा अंदाज़ा लगाया जाता, उससे पहले ही जापान के एक दूसरे शहर नागाशाकी पर भी अमरीका ने परमाणु बम गिराया.

जली हुई लाशों और मलबे के ढेर में बदल गया हिरोशिमा

नागाशाकी पर नौ अगस्त, 1945 को परमाणु बम गिराया गया. हालांकि नागाशाकी पर परमाणु हमला तय नहीं था. ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से शहर निशाना बन गया?

आठ अगस्त, 1945 की रात बीत चुकी थी, अमरीका के बमवर्षक बी-29 सुपरफोर्ट्रेस बॉक्स पर एक बम लदा हुआ था.

यह बम किसी भीमकाय तरबूज़-सा था और वज़न था 4050 किलो. बम का नाम विंस्टन चर्चिल के सन्दर्भ में 'फ़ैट मैन' रखा गया.

इस दूसरे बम के निशाने पर था औद्योगिक नगर कोकुरा. यहाँ जापान की सबसे बड़ी और सबसे ज़्यादा गोला-बारूद बनाने वाली फैक्टरियाँ थीं.

सुबह नौ बजकर पचास मिनट पर नीचे कोकुरा नगर नज़र आने लगा. इस समय बी-29 विमान 31,000 फीट की ऊँचाई पर उड़ रहा था.

परमाणु बम
Getty Images
परमाणु बम

नागासाकी पर भीमकाय बम

बम इसी ऊँचाई से गिराया जाना था. लेकिन नगर के ऊपर बादलों का डेरा था. बी-29 फिर से घूम कर कोकुरा पर आ गया.

लेकिन जब शहर पर बम गिराने की बारी आई तो फिर से शहर पर धुंए का क़ब्ज़ा था और नीचे से विमान-भेदी तोपें आग उगल रहीं थीं.

बी-29 का ईंधन ख़तरनाक तरीक़े से घटता जा रहा था. विमान में सिर्फ़ इतना ही ईंधन बचा था कि वापस पहुंच सकें.

इस अभियान के ग्रुप कैप्टन लियोनार्ड चेशर ने बाद में बताया, "हमने सुबह नौ बजे उड़ान शुरू की. जब हम मुख्य निशाने पर पहुंचे तो वहाँ पर बादल थे. तभी हमें इसे छोड़ने का संदेश मिला और हम दूसरे लक्ष्य की ओर बढ़े जो कि नागासाकी था."

चालक दल ने बम गिराने वाले स्वचालित उपकरण को चालू कर दिया और कुछ ही क्षण बाद भीमकाय बम तेज़ी से धरती की ओर बढ़ने लगा. 52 सेकेण्ड तक गिरते रहने के बाद बम पृथ्वी तल से 500 फ़ुट की उँचाई पर फट गया.

परमाणु बम
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परमाणु बम

परमाणु बम

घड़ी में समय था 11 बजकर 2 मिनट. आग का एक भीमकाय गोला मशरुम की शक्ल में उठा. गोले का आकार लगातार बढ़ने लगा और तेज़ी से सारे शहर को निगलने लगा.

नागासाकी के समुद्र तट पर तैरती नौकाओं और बन्दरगाह में खड़ी तमाम नौकाओं में आग लग गई.

आस पास के दायरे में मौजूद कोई भी व्यक्ति यह जान ही नहीं पाया कि आख़िर हुआ क्या है क्योंकि वो इसका आभास होने से पहले ही मर चुके थे.

शहर के बाहर कुछ ब्रितानी युद्धबंदी खदानों मे काम कर रहे थे उनमें से एक ने बताया, "पूरा शहर निर्जन हो चुका था, सन्नाटा. हर तरफ़ लोगों की लाशें ही लाशें थी. हमें पता चल चुका था कि कुछ तो असाधारण घटा है. लोगों के चेहरे, हाथ पैर गल रहे थे, हमने इससे पहले परमाणु बम के बारे में कभी नहीं सुना था."

नागासाकी शहर के पहाड़ों से घिरे होने के कारण केवल 6.7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही तबाही फैल पाई.

परमाणु बम
Getty Images
परमाणु बम

बाद के अनुमानों में बताया गया कि हिरोशिमा में एक लाख 40 हज़ार लोगों की मौत हुई थी. जबकि नागाशाकी में हुए धमाके में क़रीब 74 हज़ार लोगों की मौत हुई.

BBC Hindi
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English summary
For this reason Nagashaki was made to target nuclear bomb.
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