फेसबुक ने कहा मुसलमानों का डाटा बेस तैयार करने में कोई मदद नहीं
ट्विटर के बाद अब फेसबुक ने भी नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुसलमानों का डाटा बेस रखने की योजना से खुद को किया अलग।
वाशिंगटन। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के बाद अब सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने भी नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को न कहा है। फेसबुक ने खुद को उस योजना से अलग कर लिया है जिसके तहत नए राष्ट्रपति ट्रंप ने मुसलमानों का डाटाबेस रखने या उनकी रजिस्ट्री की बात कही थी।
फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग की अगुवाई वाली एक टीम की ओर से कहा गया है कि फेसबुक इस मामले में ट्रंप की कोई मदद नहीं करेगा।
सीएनएन मनी ने फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा है कि उनसे किसी ने मुसलमानों की रजिस्ट्री करने या फिर उनका डाटा बेस तैयार करने को नहीं कहा है। अगर कोई ऐसा कहेगा तो भी वह इस काम को नहीं करेंगे।
फेसबु, एप्पल और गूगल के साथ ही अमेरिका की नौ बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों में से ट्विटर पहली ऐसी कंपनी थी जिसने मुसलमानों की रजिस्ट्री वाले मसले पर ट्रंप को न कहा था। ट्टिवर ने कहा था कि अगर ट्रंप इसमें कोई मदद मांगते हैं तो फिर वह कोई मदद नहीं करेगी।
भले ही ये कंपनियां ट्रंप को न कहें लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स की जानकारी रखने वाली कंपनी डाटा ब्रोकर्स के पास इस तरह की सारी जानकारी है।
फेडरल ट्रेड कमीशन की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, ये कंपनियां अपने कस्टमर्स को नस्ल, जाति और धर्म जैसी कई श्रेणियों में बांट सकती हैं।
आपको बता दें कि ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों का डेटाबेस तैयार करने की बात कही थी।