सोशल मीडिया पर आतंकी नहीं कर सकेंगे अपना प्रचार
ब्रिटेन। इंटरनेट के जरिए सोशल साइट्स पर आतंकी संगठन लोगों के बीच अपनी पैठ बनाते जा रहे हैं, जिसपर ब्रिटेन ने गंभीर चिंता जताई है। ब्रिटेन की सरकार ने इसके लिए सख्त कदम उठाने का मन बना लिया है। इसके लिए यूके की कई बड़े इंटरनेट प्रोवाइडर कंपनियों ने सरकार को सहयोग करने के लिए अपने हाथ बढ़ाये हैं।
यूके की इंटरनेट प्रोवाइडर कंपनी बीटी, टॉक-टॉक, वर्जिन मीडिया और स्काई ने सरकार के आदेश पर उन सभी सामग्रियों को फिल्टर करना शुरु कर दिया है जिससे लोगों में आतंकियों या आतंकी संगठनों के प्रति सहानुभूति पैदा हो। सरकार इसके लिए सर्विस प्रोवाइडर्स से लोगों को एक बटन के जरिए ऐसा विकल्प भी देने को कहा है जिसके जरिए लोग यह बता सके कि यह सामग्री आतंकी सामग्री है। इससे पहले सरकार ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए ऐसा कदम उठाया था।
सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य लोगों में आतंकी संगठनों के प्रति किसी भी तरह की सहानुभूति को रोकना है। उन सभी रिपोर्टों को जो आतंकी सामग्री के अंतर्गत आती हैं, काउंटर इंटरनेट रेफरल यूनिट को भेजा जाएगा। जो कि इस बात की पुष्टि करेगी की सामग्री आतंकी सामग्री है या नहीं।
सरकार के सूत्रों की मानें तो फेसबुक, गूगल, याहू और ट्विटर ने सरकार की इस मुहिम में शामिल होने पर राजी हो गये हैं। साथ ही ऐसी सामग्रियों पर पैनी नजर रखी जायेगी साथ ही ऐसी सामग्रियों को प्रसारित नहीं होने देगी। वहीं लोगों के अधिकारों की रक्षा करने वाले समूह के अधिकारी जिम किलॉक का कहना है कि सरकार को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि ऐसी सामग्रियों को प्रतिबंधित न किया जाए जो राजनीति से प्रेरित हो या लोगों की बोलने की आजादी पर प्रहार करते हो।
यह फैसला तब आया है जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने संसद में कहा था कि आतंकी संगठनों के प्रति लोगों में किसी भी प्रकार की सहानुभूति को पनपने से रोकना होगा लेकिन इसके लिए इंटरनेट प्रोवाईडर कंपनियों सहित इससे जुड़े लोगों को सरकार का सहयोग करना पड़ेगा। उन्होंने कहा था कि यह एक सामाजिक जिम्मेदारी है जिसे पूरा करने के लिए वह प्रतिबद्ध हैं।