नरेंद्र मोदी के राज में भारत को सबक सिखाना चाहता है चीन, पढ़िए खतरनाक मंसूबे
चीन की नई धमकी- 62 की हार भूल चुके भारत को दूसरी बार सबक सिखाने का समय
नई दिल्ली। डोकलाम में भारत के आक्रामक रुख से चीनी नागरिकों का धैर्य टूट रहा है। चीन और चीनी नागरिकों के स्वाभिमान के बीच कोई नहीं आ सकता है। दुनिया की कोई भी सरकार ऐसे समय में हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकती, जब उसकी सीमा में घुसपैठ हो रही हो। भारत सिद्धांतों से भटक रहा है, अब शायद वो समय आ गया है, जब उसे दूसरा सबक सिखाना जरूरी हो गया है। यहां दूसरे सबक से मतलब एक और युद्ध करके भारत को परास्त करने से है। चीन पहले ही भारत को 'पहले सबक' के तौर पर 62 की हार याद दिला चुका है। ताजा धमकी चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आर्टिकल में दी गई है।
डोवाल की यात्रा से पहले उगला जहर
ग्लोबल टाइम्स में जॉन गोंग का यह जहरीला आर्टिकल भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल की चीन यात्रा से ठीक पहले छपा है। निश्चित तौर पर भारतीय विदेश मंत्रालय इस आर्टिकल की भाषा पर जरूर गौर करेगा। आपको बता दें कि चीन में मीडिया भारत की तरह इंडीपेंडेंट नहीं है, वहां सरकार की मर्जी के बिना एक शब्द मीडिया में नहीं आता है। ऐसे में इस धमकी की गंभीरता को समझा जा सकता है। आर्टिकल में ल्यू योफा के उस कमेंट का समर्थन किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि या तो भारतीय सैनिक डोकलाम से पीछे हट जाएं, नहीं उन्हें मार दिया जाएगा। ल्यू योफा मुंबई में चीन के काउंसिल जनरल रह चुके हैं।
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चीन कोई भूटान नहीं
यह जहरीला आर्टिकल यहीं पर खत्म नहीं होता है। आगे लिखा गया है, डोकलाम बॉर्डर के पास सड़क बना रहा है, क्योंकि वह अपने यहां सड़कों की कंडीशन चाहता है, दूसरे देशों में सड़कों की हालत कैसी है, इस बात से उसे कोई मतलब नहीं। चीन कोई भूटान नहीं है, हम इस तरह की जबरदस्ती कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ताकतवर राष्ट्र रहा है चीन
चीन की इतिहास शांतिपूर्ण राष्ट्र के तौर पर रहा है। चीन हमेशा से पीसफुल, समृद्ध और ताकतवर देश रहा है। भारत को भूलने की बीमारी है (यहां भूलने का संदर्भ 62 की हार से है)। उसे दूसरा सबक सिखाया जाना चाहिए।