स्कॉर्पीन डेटा लीक मामले में कोर्ट जाएगी डीसीएनएस कंपनी
नई दिल्ली। स्कॉर्पीन मरीन के डेटा लीक मामले में अब फ्रींसीसी कंपनी डीसीएनएस कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। डीसीएनएस कंपनी चाहती है कि ऑस्ट्रेलिया का अखबार द ऑस्ट्रेलियन इस मामले से जुड़े कोई भी दस्तावेज अब न छापे। कंपनी का कहना है कि इससे उसके ग्राहक (भारतीय नौसेना) को नुकसान हो रहा है।
दस्तावेजों को छापने से रोकने के लिए कंपनी आज ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स सुप्रीम कोर्ट में एक निषेधाज्ञा पत्र भी दाखिल करने जा रही है। डीसीएनएस ने द ऑस्ट्रेलियन से यह भी कहा है कि इस तरह से अत्यधिक मूल्यवान गोपनीय दस्तावेजों को छापने से न केवल कंपनी को नुकसान है, बल्कि भारतीय नौसेना जैसे उसे ग्राहकों को भी सीधा नुकसान है।
डाटा लीक पर बोले पर्रिकर- चिंता की कोई बात नहीं
वहीं दूसरी ओर, जो द ऑस्ट्रेलियन अखबार अभी तक इन पनडुब्बियों की हथियार प्रणाली के बारे में जानकारी छापने की बात कर रहा था, उसका कहना है कि उसने सिर्फ एसएस-39 मिसाइल की क्षमताओं की जानकारी देखी थी, जिसे संभवतः इन पनडुब्बियों में इस्तेमाल किया जा सकता था। इसी मिसाइल के टारगेट और लॉन्च डिटेल के बारे में जानकारी देखने की अखबार बात कर रहा है।
वर्ष 2011 में ही चोरी हो गए थे स्कॉर्पीन पनडुब्बी के डॉक्यूमेंट्स!
जहां डीसीएनएस इन गुप्त दस्तावेजों के प्रकाशित होने से भारतीय नौसेना को सीधा नुकसान होने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय नौसेना दावा कर रही है कि इससे भारतीय पनडुब्बियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। आपको बता दें कि मुंबई के मझगांव में 3 अरब डॉलर की लागत से फ्रांस के डिजाइन पर 6 स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बियां बन रही हैं।