चीनी मीडिया ने कहा भारतीय टैलेंट को नजरअंदाज करके की है बड़ी गलती
चीनी मीडिया ने कहा चीन ने भारत के विज्ञान और तकनीकी विशेषज्ञों को नजरअंदाज करके की है गलती। मीडिया का कहना सरकार को भारत के हाइटेक टैलेंट को अपनी ओर आकर्षित करना चाहिए।
बीजिंग। चीन की सरकारी मीडिया ने शायद पहली बार भारतीय टैलेंट की तारीफ की है। चीनी मीडिया ने कहा है कि चीन ने भारत के विज्ञान और तकनीक के विशेषज्ञों को नजरअंदाज किया है और ऐसा करके चीन ने गलती है। शुक्रवार के मीडिया ने इस बात पर जोर दिया कि चीन को अब अपने यहां क्रिएटिविटी को बरकरार रखने के लिए भारत के हाई-टेक टैलेंट को आकर्षित करना चाहिए।
भारत के लिए बढ़ रहा है आकर्षण
चीनी सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, 'चीन ने भारतीय कौशल को नजरअंदाज करके गलती की है और इसकी जगह पर अमेरिका और यूरोप से आने वाले कौशल को ज्यादा तरजीह दी।' ग्लोबल टाइम्स ने पिछले कुछ वर्षों में पहली बार भारत पर कोई सकारात्मक आर्टिकल लिखा है। इस आर्टिकल में आगे लिखा है, 'चीन शायद भारत से विज्ञान और तकनीक से जुड़े टैलेंट को आकर्षित करने के लिए जरूरी मेहनत नहीं कर रहा है।' खास बात है कि यह अखबार चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी का मुखपत्र है। यह अक्सर भारत की कड़ी आलोचना करने वाला आर्टिकल लिखता रहता है। इस आर्टिकल में आगे लिखा गया है, 'पिछले कुछ वर्षों में चीन ने देश में टेक्नोलॉजी की जॉब में खासा इजाफा देखा है और इसकी वजह से यह दूसरे देशों से आने वाले रिसर्चर्स और डेवलपमेंट सेंटर्स के लिए मुख्य आकर्षण बन गया है। इसके बावजूद कुछ हाइ-टेक कंपनियां अब चीन की बजाय भारत की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इसकर वजह है भारत में कम पैसे काम के लिए मिलते लोग।' ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक भारत का हाई टेक टैलेंट चीन को अपनी क्रिएटिविटी बरकरार रखने में मददगार साबित हो सकता है।
चीन पर बढ़ रहा है खतरा
ग्लोबल
टाइम्स
ने
अमेरिकी
सॉफ्टवेयर
कंपनी
सीए
टेक्नोलॉजीज
की
रिपोर्ट
का
हवाला
दिया
है
जिसने
चीन
में
मौजूद
अपने
300
लोगों
की
रिसर्च
एंड
डेवलपमेंट
टीम
को
हटा
लिया
है।
जबकि
भारत
में
इसी
कंपनी
की
2000
लोगों
वाली
रिसर्च
एंड
डेवलपमेंट
टीम
पिछले
कुछ
वर्षों
में
तैयार
हो
चुकी
है।
कंपनी
की
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है,
'उचित
युवा
कौशल
के
ग्रुप
की
वजह
से
भारत
अब
आकर्षक
होता
जा
रहा
है।'
रिपोर्ट
में
लिखा
है
कि
हाइटेक
इनवेस्टर्स
के
लिए
चीन
का
आकर्षण
कम
हो
रहा
है
और
चीन
इस
खतरे
को
झेल
नहीं
सकता
है।
यहअब
टेक्नोलॉजी
क्षेत्र
के
लिहाज
से
तीसरा
देश
बन
गया
है
और
अमेरिका
से
बराबरी
करने
के
लिए
काम
कर
रहा
है
और
इसकी
कोशिशें
ही
इस
बात
का
फैसला
करेंगी
कि
चीन
उभरती
आर्थिक
शक्ति
का
अपना
दर्जा
बरकरार
रख
पाएगा
या
नहीं।
चीन
ने
हाल
के
कुछ
वर्षों
में
टेक्नोलॉजी
के
क्षेत्र
में
अपना
बजट
बढ़ा
दिया
है।
साथ
ही
अब
वह
स्टार्ट-अप्स
और
रिसर्च
फर्म्स
पर
भी
बिलियन
डॉलर
खर्च
करने
लगा
है
क्योंकि
यहां
पर
मजदूरों
की
संख्या
बूढ़ी
होती
जनसंख्या
की
वजह
से
कम
होती
जा
रही
है।