चीन ने फिर दोहाराया, एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध जारी रहेगा
चीन ने फिर कहा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की एंट्री का होगा विरोध। चीन के विदेश मंत्रालय का बयान एनएसजी एंट्री को लेकर अभी भी पुराने रुख पर कायम।
बीजिंग। चीन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की एंट्री को लेकर रोड़ा अटकाएगा। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से सोमवार को जो बयान जारी किया गया है, उसमें तो इसी बात की ओर इशारा मिलता है।
बर्न में होनी है एनएसजी सदस्यों की मीटिंग
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा है, 'किसी भी नॉन एनपीटी सदस्य को एनएसजी का सदस्य बनाने के मुद्दे पर चीन ने अभी अपना रुख नहीं बदला है।' अगले माह स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में एनएसजी के 48 सदस्यों की मुलाकात होने वाली है। इससे पहले चीन की ओर से आया यह बयान काफी अहम है। भारत ने पिछले वर्ष मई में एनएसजी का सदस्य बनने के लिए औपचारिक तौर पर अप्लाई किया था। लेकिन चीन तब से ही भारत की एंट्री का विरोध कर रहा है। चीन का कहना है कि एनएसजी की सदस्यता के लिए नियम सभी देशों के लिए एक जैसे होने चाहिए। भारत एनपीटी का सदस्य नहीं है और उसी तरह से पाकिस्तान ने भी इसे साइन नहीं किया है। भारत की ही तरह पाकिस्तान ने भी एनएसजी की सदस्यता के लिए अप्लाई किया हुआ है।
पाकिस्तान की वजह से विरोध
एनएसजी दुनिया भर में न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और मैटेरियल के एक्सपोर्ट पर नियंत्रण रखता है। साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि एटॉमिक एनर्जी का प्रयोग सिर्फ शांतिपूर्ण मकसद के लिए ही हो। चुनयिंग ने कहा कि चीन वर्ष 2016 के सत्र में कही बातों का ही समर्थन करता है और साथ ही वह खुली और पारदर्शी अंतर-सरकारी प्रक्रिया पर सहमति बनने के बाद एनएसजी समूह का समर्थन करता है। पिछले वर्ष 11 नवंबर को एनएसजी की एक मीटिंग विएना में हुई थी। उस समय चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि विएना की मीटिंग नॉन-एनपीटी देशों के टेक्निकल, लीगल और राजनीतिक पक्षों पर चर्चा करने के लिए हुई थी। पिछले वर्ष जून में एनएसजी की मीटिंग साउथ कोरिया की राजधानी सियोल में हुई थी। चुनयिंग ने सोमवार को फिर से वही बात दोहराई की चीन इस बात पर कायम है कि किसी भी देश के साथ एनएसजी की सदस्यता को लेकर भेदभाव नहीं होना चाहिए।