'आग में घी डाल रहे हैं अमरीका-दक्षिण कोरिया'
उत्तर कोरिया ने अमरीका और दक्षिण कोरिया के सैन्य अभ्यास पर नाराजगी जताई
उत्तर कोरिया की नाराज़गी को नज़रअंदाज़ करते हुए अमरीका और दक्षिण कोरिया सालाना सैन्य अभ्यास में जुटे हैं.
उत्तर कोरिया ने सैन्य अभ्यास की निंदा करते हुए इसे 'आग में घी' डालने जैसा बताया है.
जबकि अमरीका ने इस सैन्य अभ्यास को रक्षात्मक बताया है लेकिन उत्तर कोरिया इसे हमले की तैयारी के तौर पर देख रहा है.
सैन्य अभ्यास का दक्षिण कोरिया में भी विरोध हो रहा है. सोमवार को कुछ प्रदर्शनकारियों ने नाराज़गी जाहिर की.
बीते हफ्ते उत्तर कोरिया की मीडिया ने जानकारी दी थी कि उसने प्रशांत महासागर स्थित अमरीकी द्वीप गुआम पर मिसाइल हमले को टाल दिया है.
हालांकि उत्तर कोरिया ने कहा था कि वो अमरीकी की कार्रवाई पर नज़र रखेगा.
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प्रस्ताव
जुलाई में चीन और रूस ने प्रस्ताव रखा था कि मिसाइल परीक्षणों पर रोक के बदले सैन्य अभ्यास नहीं किया जाए.
लेकिन अमरीकी ज्वाइंट चीफ़्स आफ़ स्टाफ़ के चेयरमैन जोसेफ़ डनफर्ड ने बीते हफ़्ते कहा था कि सैन्य अभ्यास 'फिलहाल किसी स्तर पर बातचीत का हिस्सा नहीं है' और अभ्यास योजना के मुताबिक ही होगा.
सैन्य अभ्यास में अमरीका के करीब 17 हज़ार पांच सौ और दक्षिण कोरिया के 50 हज़ार सैनिक हिस्सा ले रहे हैं. ये अभ्यास 10 दिन तक चलेगा.
उत्तर कोरिया की गुआम पर हमला करने की धमकी और उसकी ओर से बार-बार किए जा रहे मिसाइल परीक्षणों को लेकर जारी वाकयुद्ध को लेकर विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि संयुक्त सैन्य अभ्यास को ऐसे संवेदनशील वक्त में उकसावे की कार्रवाई के तौर पर देखा जाएगा.
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चेतावनी
उत्तर कोरिया के सरकारी अख़बार 'नोडोंग सिनमून' ने रविवार को अपने संपादकीय में लिखा कि सैन्य अभ्यास से प्रायद्वीप की स्थिति बदतर होगी. संपादकीय में 'अनियंत्रित परमाणु युद्ध' की चेतावनी दी गई.
समाचार एजेंसी 'यानहैप' ने सोमवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के हवाले से कहा कि उत्तर कोरिया को इस सैन्य अभ्यास के बहाने 'हालात को बेकाबू नहीं करना चाहिए'.
अमरीका और दक्षिण कोरिया हर साल दो चरण में युद्धाभ्यास करते हैं. इसमें बड़ी संख्या में सैनिक और साजो सामान इस्तेमाल होता है. एक बार अभ्यास वसंत के मौसम में और दूसरा पतझड़ के वक्त होता है.
दोनों समय ज़मीन, समुद्र और हवाई सैन्य अभ्यास होता है और कंप्यूटर के जरिए भी अभ्यास किया जाता है. हाल के सालों में चरमपंथ और रासायनिक हमले को लेकर भी अभ्यास हुए हैं.