जानिए कौन थे इजरायली पीएम बेंजामिन नेतान्याहू के भाई जिनका जिक्र पीएम मोदी ने तेल अवीव में किया
जेरूसलम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मंगलवार को तेल अवीव के बेन गुरियॉन एयरपोर्ट पहुंचे तो उन्होंने अपने भाषण में एक नाम लिया। यह नाम था योनातन नेतान्याहु का और यह नाम आज इजरायल के लिए किसी लीजेंड से कम नहीं है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू के बड़े भाई योनातन नेतान्याहू चार जुलाई को एक ऑपरेशन के दौरान एंतेबे एयरपोर्ट पर शहीद हुए थे। चार जुलाई 1976 को युगांडा के एंतेबे एयरपोर्ट पर जो ऑपरेशन चलाया गया उसे एंतेबे ऑपरेशन नाम दिया गया। आज यह ऑपरेशन और इसका हिस्सा बने योनातन दुनिया भर के कमांडोज की प्रेरणा हैं।
क्या कहा था पीएम मोदी ने
पीएम मोदी ने जो भाषण दिया वह कुछ इस तरह से था, 'आज चार जुलाई है और ठीक 41 वर्ष पहले आज के दिन ही ऑपरेशन एंतेबे हुआ था। वह दिन जब आपके प्रधानमंत्री और मेरे दोस्त बीबी ने अपने बड़े भाई योनातन को उस समय खो दिया जब वह कई इजरायली बंधकों की जान बचा रहे थे।' जिस समय पीएम मोदी उनका जिक्र कर रहे थे इजरायली पीएम नेतान्याहु उन्हें बड़े गौर से सुन रहे थे।
सिर्फ 30 वर्ष की उम्र में हुई मौत
योनातन की उम्र सिर्फ 30 वर्ष थी जब वह ऑपरेशन एंतेबा का हिस्सा बने थे। यह ऑपरेशन युगांडा में चलाया गया जब एक हफ्ते तक जर्मन और अरब के आतंकियों ने 100 से ज्यादा लोगों को बंधक बनाकर रखा हुआ था। युंगाडा के एयरपोर्ट पर इतने लोगों की जान बचाने के लिए इजरायल डिफेंस फोर्सेज ने रात भर कमांडो ऑपरेशन चलाया और इन लोगों को आतंकवादियों के चंगुल से आजाद कराया। योनातन इस आपरेशन में अकेले ऐसे सैनिक थे जिन्होंने अपनी जान गंवाई थी।
क्या था एंतेबे ऑपरेशन
27 जून 1976 को जब एयर फ्रांस की फ्लाइट 139 एयर बस ए-300बी4-2013 ने तेल अवीव के बेन गुरियॉन एयरपोर्ट से पेरिस के लिए उड़ान भरी, उसी समय इसे हाइजैक कर लिया गया। आठ दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला था। एक हफ्ते बाद सेना के हस्तक्षेप से इस समस्या का अंत हो सका। 99 मिनट तक वह कमांडो ऑपरेशन चला और इस कमांडो पर तीन फिल्में बनीं। इसके अलावा आज भी इस ऑपरेशन के बारे में दुनिया की कई सेनाओं को शिक्षा दी जाती है।
इजरायल के लिए था बहुत प्यार
इजरायली पीएम नेतान्याहू के मुताबिक जब वह बच्चे थे तो वे अपने भाई योनातन की तरह बनने की कोशिश करते थे। उन्हें घर में सब योनी कहते थे। वह हमेशा हर खेल में अपने भाईयों से आगे रहते थे। वर्ष 1967 में योनातन ने बाहर जाकर कॉलेज की शिक्षा लेने की सोचा। लेकिन देश में लगातार जारी युद्ध ने उन्हें वहीं पर रहने के लिए मजबूर किया। योनातन ने लिखा था, 'यह मेरा देश है और मेरा घर है। मैं यहीं का हूं।' योनातन ने फिर गोल्डन हाइट्स की जंग में हिस्सा लिया। इसके बाद वह पढ़ाई के लिए हार्वर्ड चले गए। वर्ष 1973 में उन्हें इजरायल आकर अपने देश की सेवा करने का फैसला लिया।
न्यूयॉर्क में हुआ था जन्म
योनातन का जन्म न्यूयॉर्क में हुआ था और उनके पिता बेंजियॉन नेतान्याहू कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर थे। योनातन हमेशा से जानते थे कि उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं। उन्होंने लिखा था, 'मुझे अपने देश की रक्षा करनी चाहिए, हार्वर्ड मेरे लिए एक ऐसी विलासिता है जिसका बोझ मैं अभी नहीं उठा सकता हूं।'
रास नहीं आया हार्वर्ड
हार्वर्ड में सबसे ज्यादा नंबर और ग्रेड हासिल करने के बाद भी योनातन इजरायल आ गए और उन्होंने खुद को एक ऑफिसर के तौर पर अपनी पहचान बनाई। योनातन को आर्मर कोर की टैंक बटॉलियन का सबसे युवा कमांडर बनाया गया था। अपनी शादी की मुश्किलों के बाद वह योमा किप्पुर वॉर में गए। इसके बाद वह इजरायल की पुरानी कमांडो यूनिट में वापस आ गए।
आज भी मिलिट्री ऑफिसर्स के लिए प्रेरणा
सन् 1970 में योनातन ने सैइरेत मटकल (इजरायल की स्पेशल फोर्सेज) की यूनिट में एक एंटी-टेररिस्ट ऑपरेशन लीड किया। इसके बाद सन् 1972 में उन्हें सेक्शन के डिप्टी कमांडर का पद मिला। योनातन का मिलिट्री करियर ऐसा है कि आज भी इजरायल के युवा मिलिट्री ऑफिसर्स के सामने उनकी मिसाल दी जाती है।
एंतेबे ऑपरेशन की अहम कड़ी थे योनातन
जिस समय इजरायल के अधिकारी एंतेबे ऑपरेशन की योजना तैयार कर रहे थे, योनातन उस ऑपरेशन की प्लानिंग का सबसे अहम हिस्सा थे। इजरायली सेना के कई ऑफिसर्स वहां पर पहुंचे और उन्होंने सभी आतंकियों को मारा और 100 से ज्यादा लोगों की जान बचाई। योनातन को उस ऑपरेशन के दौरान छाती पर गोली लगी थी। दोनों तरफ से हुई फायरिंग में तीन बंधकों की मौत हो गई थी।