ISIS के चंगुल से ह्वीलचेयर से भाग निकले शख्स ने रो-रोकर सुनाई जुल्म की कहानी
कुर्द सेना के हमले से मिला गांववालों को हौसला। जान पर खेलकर बचा रहे अपनी जान।
बाशिका। उत्तरी इराक के बाशिका इलाके में कुर्द सेना, हमला कर आतंकी संगठन आईएसआईएस के कब्जे से गांवों को मुक्त कराने की लड़ाई जारी रखे हुए है।
इस लड़ाई में आईएसआईएस के कई आतंकी मारे जा चुके हैं और मौका पाकर गांव से लोग जान बचाकर भागने में लगे हैं।
अब्बास अली नाम के शख्स ने ह्वीलचेयर से भागकर अपनी जान बचाई। उनके साथ उनकी पत्नी और चार बच्चे भी थे। वे सभी उन रास्तों से भागे थे जहां आईएसआईएस के आतंकी कहीं भी उनको देखकर गोली मार सकते थे।
लेकिन वे बचकर निकल आए। अब्बास अली ने रो-रोकर आईएसआईएस के जुल्म की कहानी सुनाई।
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रास्ते में था शूट किए जाने का खतरा
जिस रास्ते से अब्बास अली परिवार के साथ भागे थे, उस पर हमेशा आईएस के लड़ाके गश्त लगाते रहते थे। आईएस ने गांव को लोगों को चेतावनी दे रखी थी कि जो भी भागने की कोशिश करेगा, उसे मार दिया जाएगा।
कुछ दिन पहले ही इसी रास्ते से भाग रहे एक जोड़े को आईएस आतंकियों ने गोली मार दी थी। लेकिन अब्बास अली खुशनसीब रहे कि वह आतंकियों की नजरों से बचकर गांव से भाग निकलने में कामयाब रहे।
कैसे मिला अब्बास अली को भागने का मौका?
अब्बास अली ने बताया कि पास के गांव में आईएसआईएस के आतंकियों पर कुर्द पेशमरगा सेना ने हमला किया था। उनके गांव में बचे हुए पांच आतंकी दूसरे गांव में में साथियों की मदद के लिए चले गए थे। इसी बीच उनको भागने का मौका मिल गया।
अब्बास अली अपने गांव से भागकर कुर्दों के कब्जे वाले क्षेत्र में सुरक्षित चले गए। वहां भी रात में आतंकियों के हमले का खतरा बना रहता है।
कुर्द सेना के हमले से मिला गांववालों को हौसला
दो साल पहले मोसुल पर कब्जा पर आईएसआईएस ने वहां खलीफा का शासन घोषित कर दिया था और कई गांवों में लोगों पर अत्याचारी कानून थोप दिए थे।
17 अक्टूबर को इराक की सेना ने कुर्द पेशमरगा लड़ाकों के साथ मिलकर मोसुल को आईएसआईएस के कब्जे से छुड़ाने की जंग छेड़ी। इन इलाकों में अमेरिका के नेतृत्व वाला गठबंधन भी आंतकियों पर हवाई हमले कर रहा है।
जिसके बाद गांव के लोगों को आतंकियों के चंगुल से भाग निकलने का हौसला मिला।
आईएस के चंगुल से भागने का फैसला आसान नहीं
हालांकि कुर्द पेशमरगा लड़ाकों ने कई आतंकियों का सफाया किया है फिर भी गांववालों के लिए वहां से भागने का फैसला लेना आसान नहीं है। भागने के दौरान आईएस के हाथों मारे जाने का खतरा रहता है।
आईएस आतंकियों ने कब्जे के गांवों और शहरों में खौफ फैला रखा है। उन्होंने सख्त चेतावनी दे रखी है कि जो भी भागेगा, मारा जाएगा।
अब्बास अली ने भागने के फैसले के बारे में बताया कि वहां रहना बर्दाश्त से बाहर हो गया था। जिंदगी काफी मुश्किल हो चली थी।
अब्बास ने रोते हुए बताया कि आईएस के लोगों ने कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे थे।
आईएसआईएस के जुल्म की कहानी
कुर्दिश कैंप में एक शरणार्थी ने बताया कि सिगरेट पीने पर आतंकियों ने प्रतिबंध लगाया था। जो भी इसका उल्लंघन करता, उसे सरेआम 50 कोड़े लगाए जाते थे। उन्होंने हंसते हुए कहा कि वह बहुत दिनों बाद स्मोकिंग कर पा रहे हैं।
एक दूसरे शरणार्थी ने बताया कि सेलफोन का इस्तेमाल करते पकड़े जाने पर मौत की सजा दी जाती थी। जिनको भी बिजनेस करना होता था उसे आईएसआईएस को हिस्सा देना पड़ता था।
कुर्दों के कैंप में आ रहे शरणार्थी
जैसे-जैसे मोसुल में आतंकियों से लड़ाई आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे कुर्द इलाकों में बने कैंपों में गांवों और शहरों से भागकर शरणार्थी आ रहे हैं। हजारों शरणार्थियों के आने की संभावना को देखते हुए इराकी प्रशासन ने बड़ा इतंजाम किया है।
आतंकियों के खिलाफ लड़ाई में आ रही परेशानी
आंतकियों के खिलाफ लड़ाई में इराकी और कुर्द सेना को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आईएस के आंतकी बचने के लिए लोगों को ढाल बनाते रहे हैं।
आतंकी, नागरिकों के वेश में सादे कपड़ों में मानव बम बनकर घूम रहे हैं। कुर्द सेना ऐसे सुसाइड बॉम्बर्स पर नजर रखे हुए है। आतंकियों ने गांवों में जमीन के नीचे सुरंग व बंकर बना रखे हैं और रास्तों में बारूदी सुरंग बिछाया हुआ है।
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