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पासपोर्ट, लाइसेंस को लेकर सरकार करने जा रही है बदलाव, बढ़ जाएगी फीस

जल्द ही आपको पासपोर्ट बनवाने, लाइसेंस बनवाने, रजिस्ट्रेशन करवाने, सरकारी परीक्षाओं और हर उस सेवा के लिए अधिक फीस चुकानी होगी।

By Anujkumar Maurya
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नई दिल्ली। जल्द ही आपको पासपोर्ट बनवाने, लाइसेंस बनवाने, रजिस्ट्रेशन करवाने, सरकारी परीक्षाओं और हर उस सेवा के लिए अधिक फीस चुकानी होगी, जो सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाती है।

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वित्त मंत्रालय ने मंत्रालयों और विभागों से यूजर चार्ज बढ़ाने के लिए कहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि मौजूद प्रोडक्ट पर खर्च की फंडिंग और दी जाने वाली सभी सेवाओं की लागत का खर्च निकल सके।

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कई सालों से नहीं बदली यूपीएससी की फीस

आपको बता दें की यूनियम पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) सिविल सर्विस की परीक्षा के लिए अभी भी महज 100 रुपए की फीस ली जाती है, जबकि पिछले सालों से अगर तुलना की जाए तो इस परीक्षा को आयोजित करने की लागत में काफी बढ़ोत्तरी हो चुकी है।

इसके अलावा, रेलवे की कुछ सेवाओं पर भी भारी सब्सिडी दी जाती है। इस मामले पर एक सरकारी अधिकारी ने कहा है कि ऑटोनॉमस ऑर्गनाइजेशंस को आत्म निर्भर होना चाहिए, आखिर सरकार कब तक सेवाओं पर सब्सिडी देती रहेगी।

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4 साल पहले बढ़ी थी पासपोर्ट की फीस

इसी तरह से पासपोर्ट की फीस को आखिरी बार 2012 में बढ़ाया गया था। उस समय पासपोर्ट बनवाने की फीस 1000 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए की गई थी। दरअसल, अधिकतर मामलों में लागत के मुताबिक फीस काफी कम है और इसके चलते सरकार को काफी अधिक सब्सिडी देनी पड़ती है।

इस तरह के फीस बढ़ाने के निर्देश पहले भी दिए गए हैं, लेकिन कभी भी इन्हें गंभीरता से लेते हुए जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया गया, लेकिन इस बार वित्त मंत्रालय इसे लेकर काफी गंभीर है और खुद ही मंत्रालयों और विभागों से बात कर रहा है।

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सब्सिडी कम करने पर दिया जा रहा जोर

आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालाना की अगुवाई वाले एक्सपेंडिचर मैनेजमेंट कमीशन ने भी अपनी रिपोर्ट में सब्सिडी को कम करने की वकालत की है। रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा दी जाने वाली सेवाओं पर मिलने वाली सब्सिडी को कम किए जाने की जरूरत है, ताकि सेवाओं की लागत का खर्च निकाला जा सके।

एक्सपेंडिच मैनेजमेंट कमीशन के सुझावों को विभिन्न मंत्रालयों के पास भेजा गया है, ताकि वे इस रिपोर्ट को देखें और कमीशन की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए जरूरी कदम उठा सकें। सरकार इस मामले पर पहले ही कई कदम उठा चुकी है। केरोसीन और डीजल पर सब्सिडी कम करना इसी का एक हिस्सा है।

फिस्कल डेफिसिट को कम करने में मिलेगी मदद

आपको बता दें कि देश का फिस्कल डेफिसिट इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में ही पूरे वर्ष के अनुमानित बजट के 83.9 प्रतिशत पर पहुंच चुका है। यही कारण है कि खर्च को घटाने को लेकर ये कदम उठाया जा रहा है, ताकि इकोनॉमी को रफ्तार दी जा सके।

इन सेवाओं से मिलने वाली राशि सरकार के नॉन टैक्स रेवेन्यू का हिस्सा बनेगी और फिस्कल डेफिसिट कम करने में मदद मिलेगी। इस तरह से सरकार को फिस्कल डेफिसिट को भी कम करने में मदद मिलेगी।

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English summary
soon you have to pay more for licence, passport and other government services
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