गुजरात में जीका वायरस के 3 मामलों की पुष्टि, जानिए लक्षण और बचाव
जीका वायरस एडीस एजेप्टी मच्छर के काटने से फैलता है, जो डेंगू और चिकनगुनिया के लिए भी जिम्मेदार होता है।
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शनिवार को गुजरात के अहमदाबाद में मच्छर जनित जीका वायरस से जुड़े तीन मामलों के होने की पुष्टि की है, इन तीन मामलों में एक गर्भवती महिला भी शामिल हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने जांच रिपोर्ट के आधार पर इन मामलों की पुष्टि की है, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय में हड़कंप मच गया है।
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क्या है जीका वायरस
जीका वायरस एडीस एजेप्टी मच्छर के काटने से फैलता है, जो डेंगू और चिकनगुनिया के लिए भी जिम्मेदार होता है लेकिन पिछले साल ब्राजील के वैज्ञानिकों ने एक अन्य प्रकार के जीका संचरण करने वाले मच्छर की पहचान की थी, जो अक्टूबर 2015 के बाद से दक्षिण अमेरिकी देश के नवजात शिशुओं में माइक्रोसेफेली के 1,700 से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार था।
जीका वायरस के लक्षण
- इस वायरस के लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के 8 से 10 दिनों के बाद दिखने लगते हैं।
- जोड़ों में दर्द
- आंखों का लाल होना
- सिरदर्द
- बुखार
- सर्दी लगना और
- शरीर पर लाल रंग के चकते दिखना
- इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण जीका वायरस का संकेत हो सकता है।
- जीका से बचने के लिए अभी तक कोई वैकसीन नहीं बन पाई है।
- इसलिए इसके लिए शरीर को मच्छरों से बचाना जरूरी है।
- जिसके लिए आप मास्किटो रैपलेंट, मच्छरदानी और मास्किटो कोइल का प्रयोग कर सकते हो।
- इसके अलावा आप घर के अंदर और बाहर दोनों जगह सफाई रखें।
- घर के किसी भी कोने में पानी को स्टोर ना होने ना दें।
- एडिस मच्छर दिन के वक्त सूरज के चढ़ने से पहले या छिपने के बाद सुबह जल्दी या शाम को काटते हैं।
- इसलिए दिन में भी आप घर के खि़ड़की-दरवाजे बंद रखिए।
- घर में मच्छर कॉयल जलाकर रखें।
- जब भी घर से बाहर निकलें तब जूते, पूरी बाजू के कपड़े पहने।
- डीट या पीकारिडिन वाले बग्ग सप्रे या क्रीम लगाएं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने जीका वायरस के संक्रमण और बचाव को लेकर हाल ही में सलाह जारी की थी। इसमें बताया गया कि यह मुख्य तौर पर एडिस मच्छर की वजह से फैलता है लेकिन गर्भवती मां के जरिए कोख में पल रहे बच्चे को भी हो सकता है।
ग्रसित बच्चे का सिर छोटा और शरीर बड़ा
ये बच्चे के लिए काफी घातक है, इससे ग्रसित बच्चे का सिर छोटा और शरीर बड़ा होने लगता है। जिस वजह से बच्चे की मौत तक भी हो सकती है।
इलाज
सावधानी ही बचाव है