कलाम साहब के बंगले के बाहर नेम प्लेट नहीं
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) राजधानी का राजाजी मार्ग का वह बंगला। पिछले कई सालों से डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम साहब का आशियाना था। राष्ट्रपति भवन से विदा होने के बाद वे इधर ही आए थे। हालांकि वे इसमें कम ही रह पाते थे। उनके लगातार तो देश-विदेशों में लेक्चर वगैरह के प्रोग्राम रहते थे।
नेम प्लेट नहीं
कलाम साहब के इस बंगले के बाहर उनके नाम की नेमप्लेट भी नहीं लगी है। हां, कुछ सुरक्षा कर्मी जरूर तैनात रहते थे। आसपास के बंगलों में तमाम केन्द्रीय मंत्री और दूसरे खास लोग रहते हैं।
इस बीच, हरिभूमि के संपादक ओमकार चौधरी ने कहा कि वो एक महान वैज्ञानिक और दूरदृष्टा थे। भारत के राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने लोगों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी।
जानें अपना कौन सा सपना पूरा नहीं पाएं डॉ कलाम
आम आदमी के राष्ट्रपति
उन्होंने आम आदमी के लिए राष्ट्रपति भवन के दरवाजे खोल दिए थे। उनके निधन से देश को बहुत बड़ी क्षति हुई है। इसकी पूर्ति संभव नहीं है। साधारण परिवार में जन्म लेकर राष्ट्रपति के पद तक की उनकी यात्रा करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
अपना कोई हाथ छुड़ाकर चला गया है। हर मन उदास है। उन्होंने बड़ी महत्वपूर्ण बात कही थी -सपने वो नहीं होते जो सोने के बाद आते हैं। सपने वो होते हैं जो हमें सोने नहीं देते। विधि का विधान देखिए कि बड़े-बड़े सपने दिखाने और उन्हें मूर्त रूप देने वाले डा. कलाम खुद भी गहरी नींद में सो गये।
यही कहा जा सकता है कि बड़े शौक से सुन रहा था जमाना, तुम्हीं सो गये दास्तां कहते-कहते। कलाम साहब आप पर पूरे देश को फक्र है। आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। वहीं वरिष्ठ लेखक जयशंकर गुप्त कहते हैं कि वे भारत माता के सच्चे सपूत थे।
जानिए सबके लिए प्रेरणाश्रोत कलाम को किससे मिली थी प्रेरणा?
डा. एपीजे अब्दुल कलाम के निधन का समाचार गहरे दर्द दे गया। उनके साथ उनकी कई देश- विदेश यात्राओं में शामिल होने का गौरव हासिल हुआ। हर बार अलग तरह के अनुभव और संस्मरण।
सर्वांगीण विकास
भारत का सर्वांगीण विकास कैसे हो, कैसे यह देश महाशक्ति बन सके, भारत देश को प्राकृतिक आपदाओं से बचने और जूझने के उपाय क्या क्या हो सकते हैं।इस तरह की न जाने कितनी चिंताओं से ता उम्र जूझते और उपाय-समाधान ढूंढते रहे डा. कलाम।