फांसी से पहले याकूब ने कहा: मैं और मेरा रब जानता है असलियत क्या है, आप लोग तो...
नागपुर। मुंबई में 12 मार्च, 1993 को हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के दोषी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन उर्फ याकूब मेमन को बीते 30 जुलाई को नागपुर केंद्रीय कारागार में फांस दे दी गई। याकूब के फांसी पर जब मोहर लगी और उसकी इसकी खबर मिली तो उसका व्यवहार थोड़ा बदल गया था। अकसर लोगों को यह जानने की उत्सुकता रहती है कि जिसे पता हो कि उसे सुबह फांसी दे दी जाएगी तो उसकी रात कैसे गुजरती होगी? उसके दिल में बेचैनी का सैलाब उमड़ता होगा?
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सुबह 6:50 बजे जब उसे बैरक से निकाला गया तो वह कहीं से भी घबराया हुआ और अस्थिर नहीं लग रहा था। उसने जेल के एक अधिकारी से कहा था कि ''मैं और मेरा रब जानता है कि असलियत क्या है। आप लोग तो ड्यूटी कर रहे हैं इसलिए आपको माफ करता हूं''।
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फांसी के लिए ले जाते समय याकूब का चेहरा काले रंग के कपड़े से ढंका था और उसके हाथ पीछे की तरफ बंधे थ। उसके साथ चल रहे एक कांस्टेबल ने जब धीरे से कहा ''चप्प्ल'' तो याकूब ने भी बड़ी धीमी आवाज में जवाब दिया था ''हां, उतारता हूं''। आपको बताते चलें कि 6 बजकर 45 मिनट पर याकूब को फांसी दे दी गई थी और 7:30 बजे याकूब के शरीर को फंदे से उतारा गया था जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे मृत बता दिया।