शिमला बस दुर्घटना: सरकार ने नहीं सीखा कोई सबक, हर साल बढ़ता जा रहा लोगों की मौत का ग्राफ
हिमाचल प्रदेश में सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद सड़क हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहा है। यदि पिछले तेरह साल का आंकड़ा लिया जाए तो हिमाचल में 12,402 लोग सड़क हादसों में मारे गए।
शिमला। बुधवार को शिमला के समीप नेरवा तहसील के गुम्मा इलाके के नजदीक हुए भीषण बस हादसे में 46 लोगों की जानें चली गई। यह पहली बार नहीं है कि जब हिमाचल प्रदेश में इस तरह का कोई भीषण सड़क हादसा हुआ हो लेकिन इन सडक़ हादसों से सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है। इन सड़क हादसों की वजह से हर साल लगभग एक हजार लोग मौत के आगोश में समा जा रहे हैं। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
हर साल बढ़ता जा रहा है ग्राफ
निजी बसें हों या सरकारी अथवा निजी वाहन, सड़क हादसों का ग्राफ साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में हर रोज 3 लोग सड़क हादसों के कारण अकाल मृत्यु का सामना कर रहे हैं। इन हादसों का मुख्य कारण सड़क की खराब दशा, सड़क किनारे पैरापिट की कमी, क्रैश बैरियर का अभाव, निजी बस चालकों का मानकों के अनुसार प्रशिक्षित न होना है। पिछले साल मई महीने में तीन दिन में लगातार हुए सड़क हादसों में 41 लोग मौत के मुंह में चले गए। आलम ये है कि हिमाचल में सड़क हादसे पड़ोसी पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से अधिक होते हैं। हिमाचल से अधिक सड़क हादसे जम्मू-कश्मीर में होते हैं। हिमाचल की सड़क पर वाहनों का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। हर साल औसतन 1.6 लाख नई गाड़ियों का पंजीकरण होता है। यदि पिछले तेरह साल का आंकड़ा लिया जाए तो हिमाचल में 12,402 लोग सड़क हादसों में मारे गए। ये भी पढ़ें- शिमला बस हादसे की दिल दहलाने वाली तस्वीरें, 46 लोगों की मौत
नौ साल में 27 हजार से ज्यादा सड़क हादसे
हिमाचल में नौ साल में छोटे-बड़े कुल 27,081 सड़क हादसे हुए हैं। इन हादसों में 9,783 लोगों की जान चली गई। कुल 47,680 लोग इन हादसों में घायल हुए हैं। कई घायल उम्र भर के लिए विकलांग हो गए हैं। हादसों के बाद घायलों को तुरंत उपचार के लिए उच्च स्तरीय सुविधाएं नहीं हैं। सड़क किनारे के अस्पतालों में ट्रामा सेंटर नहीं हैं। आलम ये है कि पूरे हिमाचल में लेवल वन का कोई ट्रामा सेंटर नहीं है। यदि उपयुक्त दूरी पर ट्रामा सेंटर हों तो कई घायलों की जान बचाई जा सकती है। हिमाचल में शिमला से लेकर सिरमौर व कांगड़ा से लेकर किन्नौर तक सडक़ हादसों का भयावह आंकड़ा है। ये भी पढ़ें- शिमला के पास टौंस नदी में गिरी बस, 46 मरे, मृतकों को 1 लाख का मुआवजा
शिमला बस दुर्घटना में मारे गये लोगों की तलाश अभी भी जारी
शिमला जिले से सटे नेरवा में टौंस नदी में बस गिरने से मारे गये लोगों की तालाश अभी भी जारी है। मारे गये लोगों के शवों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है। चारों ओर शव बुरी तरह बिखरे पड़े हैं। रात भर राहत व बचाव कार्य चलता रहा। मातम के माहौल में लोग अपनों को तलाशते हुए घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं जिससे महौल बुरी तरह मार्मिक बना हुआ है। परिजनों के साथ प्रशासन व पुलिस कर्मी भी जुटे हुए हैं। गुरुवार सुबह दो और शवों की पहचान की गई है जिन में एक यूपी व एक उत्तराखंड का है। अभी भी 10 शवों की पहचान होनी बाकी है।
शवों की पहचान न होने पर होगा अंतिम संस्कार
बीती रात सभी शवों को होमगार्ड कर्मियों की निगरानी में नेरवा के सीएचसी के शवगृह में रखा गया था। जिन शवों की पहचान नहीं हो पाई है उनका अंतिम संस्कार आज कर दिया जाएगा। एसडीएम चौपाल, बीडीओ व तहसीलदार राहत कार्य में अहम योगदान देते हुए स्वयं हादसे के घायलों व शवों को निकालने में जुटे रहे। प्रशासन सारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। जाहिर है कि इस हादसे में कुल 46 लोगों की मौत हुई है और इनमें 30 पुरुष, 10 महिलाएं व पांच बच्चे हैं। अभी तक 35 शवों की पहचान हो चुकी है। इनमें उतराखंड के 18, हिमाचल के 13 व यूपी के 4 लोग शामिल हैं।
सडक़
हादसों
में
हर
साल
यूं
बढ़ता
गया
मौत
का
ग्राफ
वर्ष
हादसे
मौतें
घायल
2008
2756
848
4836
2009
3051
1140
5579
2010
3069
1102
5335
2011
3099
1072
5325
2012
2899
1109
5248
2013
2981
1054
5081
2014
3058
1199
5680
2015
3015
1096
5109
2016
3153
1163
5587