खुलासा: पुरुषों के मुकाबले भारत में महिलाओं की सैलरी में है बड़ा अंतर
आंकड़ों से साफ है कि दुनिया के देशों के मुकाबले भारत में पुरुष मजदूरों के मुकाबले महिला मजदूरों काफी कम वेतन मिलता है।
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के नए डाटा के मुताबिक भारत में पुरुष पुरुष मजदूरों के मुकाबले महिला मजदूरों को 33 फीसदी कम वेतन मिलता है। इन आंकड़ों से साफ है कि दुनिया के देशों के मुकाबले भारत में पुरुष मजदूरों के मुकाबले महिला मजदूरों काफी कम वेतन मिलता है।
लिंग के आधार पर वेतन में असमानता का खुलासा
बड़ी इकोनॉमी वाले देशों में केवल दक्षिण कोरिया का डाटा बेहद खराब है। ये डाटा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ओर से पिछले हफ्ते जारी की गई वैश्विक मजदूरी रिपोर्ट 2016 में सामने आई है।
20 हजार से ज्यादा का गुमनाम चंदा पाने में बीजेपी अव्वल, कांग्रेस दूसरे नंबर पर
आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा हो सकता है कि महिलाओं की शिक्षा के स्तर में कमी या फिर कार्य अनुभव में अंतर की वजह से सैलरी में ये अंतर हो, लेकिन शैक्षिक अंतर ही इस मामले की अहम कड़ी नहीं है।
भारत में शिक्षा को लेकर महिलाओं और पुरुषों की शैक्षिक योग्यता में अंतर तेजी से संकुचित हो रहा है। जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि पुरुष स्नातकों के मुकाबले महिला स्नातकों की संख्या पिछले दशक भर में दो गुनी हुई है।
पिछले एक दशक में बदले हैं हालात
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीयों महिलाओं को 63 फीसदी कम वेतन मिला है लेकिन इनमें 15 फीसदी ज्यादा वेतन है। इस तथ्य को छोड़ दें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक हाल में जिन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की है उनमें पुरषों के मुकाबले ज्यादा महिला डॉक्टर और शिक्षक हैं।
मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अब कैश में नहीं मिलेगी कर्मचारियों को सैलरी
इसके साथ-साथ नॉन टेक्निकल फील्ड में भी पुरुषों के मुकाबले सबसे ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएट महिलाएं ही हैं। रसियन फेडरेशन से तुलना की जाए तो यहां महिला मजदूरों को 40 फीसदी ज्यादा वेतन दिया जाता है।
महिला मजदूरों में वेतन का ये अंतर निचले स्तर तक है, हालांकि मनरेगा के तहत कि महिला और पुरुष मजदूरों को वेतन का अंतर करने की कोशिश की गई थी।
महिलाओं के वेतन की स्थिति में हो रहा काफी सुधार
भारत में वेतन असमानता अकेले लिंग अनुपात की वजह नहीं है। देश के आधे से ज्यादा मजदूर जिन्हें कम वेतन मिलता है उनका आंकड़ा करीब 17.1 फीसदी है।
सिर्फ कागजों पर ही मौजूद हैं 200 राजनीतिक पार्टियां, चुनाव आयोग भेजेगा नोटिस
वहीं टॉप 10 फीसदी मजदूरों को 42.7 फीसदी मजदूरी मिलती है। केवल दक्षिण अफ्रीका में ये ज्यादा असमान है।
इन आंकड़ों के मुताबिक हालात इतने खराब नहीं हुए हैं। भारत में बीते दशक में औसत मजदूरी 60 फीसदी पहुंच गई है। ये आंकड़ा चीन से दोगुना है।