"गर्भपात नहीं करा पाऊंगी, अब मेरा बच्चा जन्म के बाद मरेगा"
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने महिला को गर्भपात की इजाजत देने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि बच्चा जिस सिंड्रोम से पीड़ित है उससे मां को कोई खतरा नहीं है।
नई दिल्ली। अपने बच्चे के अर्नोल्ड चैरी सिंड्रोम से पीड़ित होने के चलते सुप्रीम कोर्ट से गर्भपात की इजाजत मांगने वाली 28 साल की गर्भवती महिला का कहना है कि वो अब बच्चे को जन्म देगी। गर्भपात से बेहतर है कि उसका बच्चा जन्म के बाद मर जाए। जिस सिंड्रोम से बच्चा पीड़ित है, उसमें दिमाग और हड्डियों का विकास नहीं होता और जन्म के बाद बच्चे की जिंदगी बहुत कम होती है।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने महिला को गर्भपात की इजाजत देने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि बच्चा जिस सिंड्रोम से पीड़ित है उससे मां को कोई खतरा नहीं है ऐसे में गर्भपात की इजाजत नहीं दी जा सकती है। मुंबई की रहने वाली 28 साल की गर्भवती ने बताया कि जब बीते साल सितंबर में उसे प्रेग्नेंट होने का पता चला तो वो बहुत खुश थी लेकिन अब उनकी खुशियां गम में बदल गई हैं। आंखों में आंसू भरकर कहती हैं कि मेरा बच्चा अब पैदा होगा और फिर मर जाएगा। मंगलवार को अपने पति और पिता के साथ डॉक्टर के क्लीनिक पर वो आईं थीं। उनके 60 साल के पिता ने कहा कि कोर्ट ने अबॉर्शन की इजाजत नहीं दी लेकिन क्या हमें सरकार बच्चे के इलाज के लिए मदद देगी।
क्या
है
कानून
एक
ऐसे
ही
मामले
में
शीर्ष
न्यायालय
ने
22
वर्षीय
एक
महिला
के
जीवन
पर
संकट
को
देखते
हुए
सात
फरवरी
को
24
सप्ताह
के
गर्भ
को
गिराने
की
इजाजत
दे
दी
थी।
दरअसल,
मेडिकल
टर्मिनेशन
ऑफ
प्रेगनेसी
एक्ट
के
तहत
20
हफ्ते
से
ज्यादा
के
भ्रूण
के
गर्भपात
करने
पर
किसी
भी
डॉक्टर
को
7
साल
तक
की
सजा
हो
सकती
हैं।
हालांकि
महिला
की
जान
को
खतरा
होने
पर
इसकी
इजाजत
दी
जा
सकती
हैं।
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