16 नवंबर से शीतकालीन सत्र, इन मुद्दों से सरकार को होना होगा दो चार
नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से 16 दिसंबर तक चलेगा। संसद के इस सत्र को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जम्मू और कश्मीर स्थित उरी में भारतीय सेना के बेस कैंप पर हुए हमले के बाद लगातार हो रहे आतंकी हमलों के कारण सरकार विपक्ष के निशाने पर रहेगी।
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वहीं उरी में हुए हमले के बाद भारतीय सेना की ओर से पाक अधिकृत कश्मीर में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक पर सरकार प्रमुख रूप से आतंकवाद के खिलाफ अपना कड़ा कदम बताकर खुद की पीठ थपथपाने की कोशिश करेगी।
एक दूसरे पर लगाएंगे आरोप प्रत्यारोप
संभावना है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बयान पर सरकार और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के बयान पर विपक्ष एक दूसरे पर निशाना साधेंगे।
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वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के महत्वाकांक्षी बिल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) पर भी अहम फैसले हो सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार इस सत्र के दौरान सरकार की प्राथमिकता होगी कि वो सीजीएसटी (सेंट्रल जीएसटी) और आईजीएसटी (इंटिग्रेटेड जीएसटी) पास कराने की तैयारी में है।
संभावना जताई जा रही है कि जीएसटी को बतौर मनी बिल सदन में पेश किया जा सकता है। साथ ही उपभोक्ता संरक्षण के मद्देनजर नए उपभोक्ता संरक्षण बिल को भी इसी सत्र में सदन के पटल पर लाया जा सकता है।
राज्य के चुनावों का असर भी दिखेगा
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सत्र के दौरान सरकार और विपक्ष दोनों अपने-अपने तरफ से कोशिश करेंगे कि इसे भुनाया जा सके।
इस सत्र के बाद यदि चुनाव आयोग पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनाव की अधिसूचना जारी कर देती है तो सरकार आम बजट भी परिणाम आने के बाद ही सदन में पेश कर पाएगी।
उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित तीन अन्य राज्य के चुनावों का असर इस सत्र पर साफ दिखेगा।
राज्यसभा में सांसदों की कमी
सत्र के दौरान सरकार को जाट आरक्षण का मुद्दा भी परेशान करेगा।
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जाट आरक्षण समिति के नेताओं ने इस बात की घोषणा पहले ही कर दी है कि वे शीतकालीन सत्र के दौरान धरने पर बैठेंगे हालांकि अभी तक इसकी तारीख नहीं बताई गई है।
वहीं पहले के सत्रों की तरह सरकार को राज्यसभा में महत्वपूर्ण मुद्दों पर संख्याबल की कमी खलेगी।