तो क्या भारत रत्न के जरिए नौ बरस बाद जनता को दिखेंगे वाजपेई?
नई दिल्ली। ठीक आज से नौ बरस पहले दिसंबर 2005 में मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई एक रैली में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान किया था, देश में मौजूद करोड़ों प्रशंसक निराश हो गए थे।
फैंस की ख्वाहिश
उस घटना को नौ बरस हो गए हैं और एक भी दिन ऐसा नहीं है जब उनके प्रशंसकों ने उनकी एक झलक देखने की इच्छा न जाहिर की हो। देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री के तौर पर वाजपेई ने न सिर्फ राजनीति को एक नया स्वरूप दिया बल्कि कई दिलों पर अपनी छाप छोड़ी जो आज तक कायम है।
बुधवार को जब उनके नाम के लिए भारत रत्न का ऐलान किया गया तो उनके फैंस के चेहरे पर एक मुस्कान आई। यह मुस्कान उस उम्मीद की गवाही दे रही थी जो उन्होंने इस ऐलान से लगा रखी हैं। उन्हें उम्मीद है कि कई साल के बाद उन्हें अपने चहेते पीएम की झलक देखने को मिलेगी।
काफी बीमार हैं अटल बिहारी वाजपेई
राजनीति से संन्यास लेने के बाद अटल बिहारी सार्वजनिक जीवन से एकदम दूर हो गए। किसी को खबर ही नहीं मिल पाती है कि इस समय वह कैसे हैं और क्या करते होंगे। उनसे मिलकर आने वाले राजनेताओं के बयानों से ही उन्हें इसका अंदाजा लग पाता है।
एक खुशमिजाज और एक मजबूत पीएम के तौर पर जाने वाले अटल बिहारी वाजपेई इस समय काफी बीमार हैं। भारतीय राजनीति को एक नई पहचान देने वाले अटल अब लोगों को पहचान ही नहीं पाते हैं। उनका ज्यादातर समय व्हीलचेयर पर ही गुजरता है।
अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या अटल बिहारी वाजपेई अपने चाहने वालों के सामने आएंगे या फिर उन्हें यह पुरस्कार उनके घर पर जाकर दिया जाएगा।