और जारी रहा नागरिक सम्मानों पर विवाद
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) किसी ने ठीक ही कहा कि हमारे इधर जब तक अहम पुरस्कारों को देने को लेकर कोई तय नियम नहीं बनेंगे तब तक इनको लेकर वाद-विवाद होते रहेंगे। इन्हें लेने से बहुत से लोग इंकार करते रहेंगे। इस बार भी यही हुआ। स्वामी रामदेव और श्री श्री रविशंकर ने जहां अपने सन्यासी होने का हवाला देते हुए पदमा पुरस्कार लेने से मना कर दिया, वहीं बॉलीवुड स्टार सलमान खान के पिता और मशहूर पटकथा लेखक सलीम खान ने भी पद्म श्री सम्मान लेने से इनकार कर दिया है।
सलीम खान ने बताया कि मैं पद्म श्री के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन उन्होंने मुझे इतनी देरी से पद्म श्री देना तय किया। अब उन्हें मुझे कुछ ऐसा देना चाहिए, जो मेरे लेवल का हो। पद्मश्री तो मुझसे जूनियर पचासों लोगों को मिल चुका है। क्या 79 साल की उम्र में मुझे यह मिलना उचित है? सलीम खान ने जावेद अख्तर के साथ मिलकर दीवार, शोले, जंजीर और त्रिशूल जैसी कामयाब फिल्मों की कहानी लिखी है। सलीम खान ने कहा कि सरकार की कार्य प्रणाली में कुछ तो गलत है। मैं कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहता, पर पद्म श्री मेरे लेवल का नहीं है।
योग गुरू रामदेव ने देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस सम्मान के लिए चुने जाने पर वह आभारी हैं, लेकिन यह सम्मान किसी संन्यासी के बदले अन्य किसी को दिया जाना चाहिए। रामदेव ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को लिखे एक पत्र में कहा कि वह आभारी हैं कि सरकार ने उनके नाम पर विचार किया, जिसकी जानकारी उन्हें मीडिया से मिली, लेकिन यह सम्मान किसी अन्य महान हस्ती को दिया जाना चाहिए।
आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने ट्वीट कर खुलासा किया, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुझे फोन कर पद्म पुरस्कार देने के बारे में जानकारी दी। मैंने उन्हें धन्यवाद देकर किसी अन्य यथेष्ठ को पुरस्कार देने का अनुरोध किया है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पुरस्कारों को लेकर हमारे इधर जब तक कोई मानक नहीं होंगे,तब यह होता रहेगा।