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हत्यारे याकूब के जनाजे में इतनी भीड़ क्यों

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) मुंबई में कल सैकड़ों निर्दोष लोगों की मौत के गुनहगार याकूब मेमन के अंतिम संस्कार में हजारों लोगों का शामिल होना बहुत कुछ कहता है।

बेशक, याकूब के अंतिम संस्कार में हजारों लोगों का शामिल होना यह साबित करता है इन लोगों को मुम्बई बम विस्फोटों में मारे गये बेगुनाहों की मौत व उनके अनाथ परिजनों से जरा भी हमदर्दी नहीं है।

भय नहीं

वरिष्ठ चिंतक देव सिंह रावत कहते हैं कि याकूब के परिजनों व मित्रों का अंतिम यात्रा में सम्मलित होना तो समझा जा सकता है परन्तु हजारों लोगों का सम्मलित होना यह दर्शाता है इन्हें ईश्वर, कानून व शासन प्रशासन का कोई भय नहीं है।

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विचाराधीन कैदियों की सुनो

इस बीच,हजारों विचाराधीन कैदी जेलों में बेगुनाह लम्बे समय जेलों में बंद है उनकी सुध लेने की न मानवाधिकारी गिरगिटों को फुर्सत है व नहीं न्यायपालिका को?

फिर फरियाद क्यों

दया याचिका एक बार राष्ट्रपति प्रणव कुमार मुखर्जी के यहां से दया की याचिका रद्द हो गयी तो फिर क्यों न्यायालय, राज्यपाल के दर पर फरियाद का अवसर दिया गया?

क्या आम आदमी को सरकार, न्यायालय, खबरिया चैनल व मानवाधिकारी गिरगिट ऐसा ही व्यवहार करते है जो ऊंची पंहुच वाले याकूब को मिला। अगर याकूब बेगुनाह थे तो क्यों इतने मजबूत पक्षाकारों ने सार्वजनिक रूप से उसकी निर्दोष होने के प्रमाण समाचार पत्रों, मंचों से जगजाहिर किया।

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English summary
Why so many people attended the funeral of Memon? It is an insult to all those who lost their lives in the bomb blasts. He was hanged yesterday.
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