तो क्या इसलिए राहुल गांधी ने की केदारनाथ यात्रा?
केदारनाथ। आज कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने केदारनाथ बाबा का दर्शन किया। केदारनाथ के दर्शन करने के बाद राहुल गांधी ने मीडिया से कहा कि वो यहां कुछ मांगने नहीं आये थे, उन्हें दर्शन करने के बाद काफी सुकून मिला है और उन्हें लगता है कि उन्हें दिव्य शक्ति प्राप्त हुई है।
शक्ति कितनी और कैसी है, यह तो राहुल ही जानें, लेकिन यह बात जरूर है कि युवराज की इस यात्रा के पीछे एक बड़ा राजनीतिक मकसद छिपा है। [जानिए केदारनाथ धाम के बारे में कुछ खास बातें]
राजनीतिक मकसद इसलिये, क्योंकि अगर राहुल गांधी को अपनी निजी यात्रा के तौर पर केदारनाथ जाना होता, तो हाल ही में बिताई गई छुट्टियों को थोड़ा आगे बढ़ाकर भी वहां जा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। पहले ढोल नगाड़े पीट कर बता दिया वो क्या कर रहे हैं, और फिर चल पड़े 16 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा पर! वो भी पैदल।
बता दें कि राहुल गांधी की यह कोई पहली केदारनाथ यात्रा नहीं है। इससे पहले भी वो कई बार वहां जा चुके हैं लेकिन इस बार की यात्रा थोड़ी अलग इसलिए है, क्योंकि वो इस बार पैदल चले, न कि हेलीकॉप्टर से उड़कर पहुंचे। हेलिकाफ्टर से आते तो उन्हें इस धाम के रास्तों के बारे में पता नहीं चलता जिसे जानना बहुत जरूरी था।
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अब यह यात्रा राहुल का पॉलिटिकल स्टंट कैसे बनी, इस पर हम चर्चा करेंगे स्लाइडर में- आईये जानते हैं लोग राहुल गांधी की इस केदारनाथ यात्रा के बारे में टीवी चैनलों पर क्या कह रहे हैं?
कांग्रेस की छवि बदलने की कोशिश
पिछले काफी समय से बीजेपी और अन्य पार्टियों ने लोगों के सामने कांग्रेस को हिंदुत्व विरोधी पार्टी के रूप प्रोजेक्ट करने की कोशिश की। इसलिए कांग्रेस राहुल को एक हिंदुत्ववादी नेता साबित करने में जुटी है। हो सकता है राहुल इसके जरिये मिडिल क्लास हिंदू समाज को खुश करने में सफलता मिल जाये।
आम आदमी की तरह राहुल गांधी
दिल्ली चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि देश की जनता उनकी पार्टी से इसलिए नाराज थी क्योंकि शायद वो और उनकी पार्टी आम आदमी की तरह नहीं बल्कि हाई-फाई लोगों की तरह व्यवहार करती है। इसलिए ही शायद राहुल गांधी एक नार्मल व्यक्ति की तरह केदारनाथ धाम की यात्रा करने आये हैं। जिस तरह देश का नार्मल नवयुवक जींस-टीशर्ट में मंदिर जाता है ठीक उसी तरह से राहुल गांधी भी दर्शन करने पहुंचे।
नो ताम-झाम ओनली काम
राहुल गांधी ने दर्शन के बाद कहा कि वो रास्तों को समझने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं, इसका मतलब शायद कांग्रेस लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि राहुल गांधी की इस पदयात्रा से उन रास्तों अब कठिनाईयां कम आयेंगी और उन समस्याओं का निवारण होगा जो कि लोगों के सामने रोज आती है। हो सकता है कि रास्ते की सड़कें अब अच्छी हो जायें, जगह-जगह अब लोगों को जरूरतों का सामान मिले।
मैं एक आम इंसान हूं
राहुल गांधी बड़े घराने से जरूर हैं लेकिन वो सोचते एक आदमी की तरह ही, उन्हें भी गरीबी का दर्द पता है, शायद यही कांग्रेस कहना चाह रही है।
जमीनी स्तर का नेता
राहुल गांधी की सोच अलग लेकिन जमीनी स्तर की है इसलिए आज राहुल गांधी पदयात्रा कर रहे हैं, शायद यही कांग्रेस बताना चाह रही है। अब इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाले समय में पता ही चल जायेगा लेकिन इसमें किसी को शक नहीं कि राहुल गांधी की इस यात्रा ने उन्हें और कांग्रेस को फिर से उन सुर्खियों में ला दिया है जिसकी उसे सबसे ज्यादा जरूरत थी।