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तो अरब देशों की खुशी के लिए मोदी नहीं जाएंगे इजराईल

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्थान पर राष्ट्रपति इजराईल की यात्रा करेंगे। इस खबर के आते ही संकेत मिल रहे हैं कि भारत सरकार ने अरब राष्ट्रों को ये एक तरह से सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है कि भले ही भारत-इजराईल से व्यापारिक संबंध मजबूत होते रहे और भारत हर साल इजराईल से खरबों रुपये के हधियार खरीदता रहे, तो भी भारत का अरब देशों को लेकर रुख या नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।

पहले की तरह भारत

भारत पहले की तरह से अरब देशों का मित्र बना हुआ है।दरअसल बीते कुछ समय पहले मोदी की इजराईल की संभावित यात्रा की घोषणा से अरब देशों को धक्का अवश्य लगा था।

नहीं गया अरब

कूटनीति के जानकारों ने कहा था कि अगर भारतीय प्रधानमंत्री साल 2007 से किसी अरब देश में नहीं गया तो भारतीय प्रधानमंत्री को इजराईल जाने की क्या जरूरत है।

बता दें कि अगर नरेंद्र मोदी इज़राईल जाते तो वे वहां पर जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री होते। दरअसल 1992 में इजराईल से राजनयिक संबंध स्थापित करने के बाद से भारत का कोई भी प्रधानमंत्री वहां पर नहीं गया है।

70 लाख भारतीय

जानकारों का कहना है कि भारत अपने को अरब देशों से इसलिए भी दूर नहीं कर सकता क्योंकि समूचे अरब देशों में करीब 70 लाख भारतीय रहते हैं। वे वहां पर कामकाज तथा बिजनेस करके हर साल भारत में करोड़ों डॉलर भेजते हैं।

पिछले साल मोदी की संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के दौरान इज़राईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्हू से लंबी मुलाकात हुई थी। तब नेतान्हू ने मोदी को इज़राईल यात्रा का निमंत्रण दिया था। सूत्रों का कहना है कि संभव है कि मोदी आगे चलकर इजराईल जाने का कार्यक्रम बना लें।

English summary
Why president Mukherjee not Modi to visit Israel? It is said that India wants to give a message to Arab World that India is still very close to them.
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