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BRICS सम्मेलन में इन 7 बातों को हासिल करने से चूके मोदी

ब्रिक्‍स सम्‍मेलन भारत के लिए असफलता से ज्‍यादा रूस और चीन की दोस्‍ती की मिसााल बनकर उभरा। पुराने दोस्‍त रूस ने जैश कमांडर मौलाना मसूद अजहर पर बैन और पाकिस्‍तान समर्थित आतंकवाद पर चुप्‍पी साधे रखी।

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नई दिल्‍ली। गोवा में आंठवां ब्रिक्‍स सम्‍मेलन खत्‍म हो गया। उरी आतंकी हमले और फिर सर्जिकल स्‍ट्राइक के बाद एक बड़ा अतंराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन भारत में आयोजित हो रहा था।

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एक ऐसा सम्‍मेलन जिसमें भारत का पुराना दोस्‍त और पुराना दुश्‍मन दोनों एक साथ थे। लेकिन 'दोस्‍त', 'दुश्‍मन' और एक पुरानी 'दुश्‍मनी' पर हावी हो गया और नतीजा कई मुद्दों पर ब्रिक्‍स भारत के लिए असफल सम्‍मेलन के तौर पर तब्‍दील हो गया।

सभी को उम्‍मीद थी कि इतने बड़े सम्‍मेलन में भारत आतंकवाद के मसले पर पाकिस्‍तान का अलग-थलग करने में सफल हो पाएगा।

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अफसोस ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसके उलट पांच दशकों से भी ज्‍यादा समय से भारत के पुराने रणनीतिक साझीदार रूस ने भी भारत को अपने रुख से सकते में डाल दिया।

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एनएसजी और मौलाना मसूद अजहर जैसे मुद्दों पर भी कोई बात नहीं बनी। एक नजर डालिए ऐसी साात बातों पर जिनसे साफ होता है कि इस वर्ष का ब्रिक्‍स भारत में होने के बाद भी भारत के लिए असफलता के अलावा और कुछ नहीं ला सका।

अजहर पर बैन के मूड में नहीं रूस

अजहर पर बैन के मूड में नहीं रूस

भारत को अगर किसी बात ने सबसे ज्‍यादा हैरान किया तो वह था रूस की आतंकवाद पर चुप्‍पी। जहां ब्रिक्‍स में शामिल साउथ अफ्रीका और ब्राजील ने यूनाइटेड नेशंस सिक्‍योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) में जैश कमांडर मौलाना मसूद अजहर पर बैन की मांग का समर्थन किया तो वहीं रूस खामोश रहा। सूत्रों के मुताबिक रूस ने भारत के पक्ष में इस मुद्दे को लेकर बहस करने से इंकार कर दिया है।

पाक को आतंकी देश के मसले पर खामोशी

पाक को आतंकी देश के मसले पर खामोशी

भारत हमेशा से दुनिया के सामने पाकिस्‍तान का नाम लिए बिना यहां पर आतंकवाद को मिली पनाह के बारे में जिक्र करता आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्‍स में पाकिस्‍तान को आतंकवाद की 'जन्‍मभूमि' कहकर संबोधित किया। जहां चीन ने सोमवार को पीएम मोदी के इस बयान को अप्रत्‍यक्ष तौर पर खारिज कर दिया तो वहीं मसूद अजहर पर चुप्‍पी रूस का रुख बताने के लिए कफी है।

क्‍यों चुप है रूस

क्‍यों चुप है रूस

ब्रिक्‍स से पहले रूस के राष्‍ट्रपति ब्‍लादीमिर पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच जब द्विपक्षीय मुलाकात हुई तो पुतिन ने पीएम मोदी को भरोसा दिलाया था कि रूस ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिससे भारत के हितों को नुकसान पहुंचे। लेकिन जब विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की कि पाक में स्थित आतंकी संगठनों पर कोई सहमति नहीं बनी तो रूस का एक बदले हुए रवैये की पुष्टि भी हो गई। रूस का मानना है कि पाक में मौजूद आतंकी संगठनों से उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। ऐसे में वह अप्रत्‍यक्ष तौर पर इस मुद्दे पर भारत के साथ नहीं खड़ा रहना चाहता है।

सीमा पार आतंकवाद का शिकार नहीं भारत!

सीमा पार आतंकवाद का शिकार नहीं भारत!

जिस बात को लेकर भारत के नेता अतंराष्‍ट्रीय मंच पर जाते हैं, ब्रिक्‍स देशों ने उस बात को मानने से ही इंकार कर दिया। चीन की मौजूदगी की वजह से भारत को सीमा पर आतंकवाद का पीड़‍ित मानने से ब्रिक्‍स देशों ने इंकार कर दिया। चीन और बाकी ब्रिक्‍स देशों ने जैश-ए-मोहम्‍मद और लश्‍कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों की वजह भारत को आतंक का पीड़‍ित नहीं माना। उन्‍होंने इन संगठनों का जिक्र ही नहीं किया जबकि आईएसआईएस, जबहात-अल-नुसरा जैसे आंतकी संगठनों पर चर्चा जरूर हुई। रूस की तरह से बाकी ब्रिक्‍स देशों का मानना था ये सभी संगठन उनके लिए खतरा और चिंता का विषय नहीं हैं।

हिंदी-चीनी नहीं रूसी-चीनी भाई-भाई

हिंदी-चीनी नहीं रूसी-चीनी भाई-भाई

मौलाना मसूद अजहर पर रूस के रुख ने यह तो साफ कर दिया है कि अब भारत का यह पुराना दोस्‍त चीन और पाक की ओर बढ़ रहा है। रूस ने हाल ही में पाकिस्‍तान के साथ सैन्‍य रिश्‍तों की ओर कदम बढ़ाए हैं। रणनीतिक संबंधों पर नजर रखने वाले ब्रह्म चेलानी की मानें तो रूस भारत की चिंताओं से वाकिफ है लेकिन चीन की विरोध की वजह से वह इस जिक्र से बचना चाहता है। इसका ही नतीजा है कि रूस ने मसूद अजहर के बैन पर चुप्‍पी साधे रखी। चीन की वजह से ही रूस भी पाक का बचाव करने को मजबूर है।

 एनएसजी पर भी फेल

एनएसजी पर भी फेल

चीन ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह एनएसजी में भारत की एंट्री का समर्थन नहीं करेगा। जब चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग भारत आए तो उन्‍होंने पीएम मोदी के साथ मुलाकात में भी अपना वहीं रुख साफ कर दिया। लोगों को उम्‍मीद थी कि ब्रिक्‍स सम्‍मेलन के दौरान चीन की ओर से एनएसजी पर कुछ सकारात्‍मक नतीजा भारत को हासिल हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

पाक को अलग-थलग करने की कोशिश नाकाम

पाक को अलग-थलग करने की कोशिश नाकाम

ब्रिक्‍स की शुरुआत से पहले माना जा रहा था कि उरी आतंकी हमले के बाद होने वाला यह सम्‍मेलन पा‍क को अलग-थलग करने की एक अहम मुहिम साबित हो सकता है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। न तो मसूद अजहर के बारे में कोई सकारात्‍मक नतीजा निकल पाया और न ही पाक को आतंकी देश घोषित करने पर कोई बड़ी सफलता हाथ लग सकी।

Comments
English summary
BRICS for India has brought too many disappointments for India. Leave China, old friend Russia too snubs India on the issue of Pakistan.
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