क्यों इस समय पाकिस्तान के साथ क्रिकेट डिप्लोमैसी बिल्कुल भी संभव नहीं है?
गृह मंत्रालय ने कहा वर्तमान हालातों में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संभव नहीं है। गृह मंत्रालय ने आखिरी फैसला विदेश मंत्रालय पर छोड़ा है। बीसीसीआई ने की थी भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट सीरीज की अपील।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से साफ कर दिया गया है कि फिलहाल जो हालात हैं उनमें पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संभव नहीं है। सरकार के रुख से साफ है कि एक ऐसा देश जो भारत के खिलाफ आतंकी वारदातों की साजिश रचता हो और आतंकवाद का समर्थन करता हो उसके साथ मिलनसार होना या फिर दोस्ती संभव नहीं है।
पाकिस्तान की वजह से 123 सैनिक शहीद
जो लोग पाकिस्तान के साथ क्रिकेट की वकालत कर रहे हैं उन्हें यह बात जान लेनी होगी कि वर्ष 2014 से 2016 के बीच आतंकी हमलों में 123 सैनिक शहीद हो चुके हैं। इन हमलों को पाकिस्तान ने ही अंजाम दिया था। बीसीसीआई ने सरकार से अनुरोध किया है कि दुबई में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने की अनुमति दी जाए। सरकार पहले भी पाकिस्तान के साथ क्रिकेट की मंजूरी देने से इंकार कर चुकी है। आपको बता दें कि पाकिस्तान अपने घर में क्रिकेट नहीं खेलता है और ज्यादातर मैच दुबई में ही खेले जाते हैं क्योंकि पाकिस्तान में हमेशा सुरक्षा को लेकर खतरा बना रहता है। भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैचों से बीसीसीआई को अच्छी-खासी कमाई भी होती है और शायद यह पैसा एक बड़ी वजह है। दोनों देशों के मैचों के दौरान सट्टेबाजी भी जमकर होती है और सट्टेबाजों की भी चांदी रहती है।
आजाद हैं हाफिज सईद जैसे लोग
बीसीसीआई जो क्रिकेट की वकालत कर रही है वह यह शायद भुल चुकी है कि 26/11 और ऐसे कितने आतंकी हमलों के गुनाहगार पाकिस्तान में मौजूद हैं। पाकिस्तान की सरकार हमेशा से ही भारत में होने वाले किसी भी आतंकी हमले में अपना हाथ होने से इंकार करती आई है। अभी तक पाकिस्तान में हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी और मौलाना मसूद अजहर को सरकार की ओर से सुरक्षा मिली हुई ट्रायल तो दूर की बात है। पाकिस्तान, कश्मीर में रहने वाले युवाओं का ब्रेनवॉश करके उन्हें हालातों को बिगाड़ने के लिए उकसा रही है। आज कश्मीर में एनकाउंटर के समय सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी आम बात हो गई है। कश्मीर में जो अलगाववादी हैं उन्हें पाकिस्तान का समर्थन मिलता है और इस समर्थन के दम पर ही वह भारत और कश्मीर की बर्बादी की बात करते हैं।