ब्राह्मण होने के बावजूद क्यों दफनाया गया जयललिता को, जानें वजह?
ब्राह्मण होने के बावजूद जयललिता का अंतिम संस्कार करने के बजाए उन्हें दफनया गया। क्या है इसके मायने?
चेन्नई। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और एआईडीएमके की प्रमुख जयललिता का कल देर रात निधन हो गया। अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता को राजकीय सम्मान के चेन्नई के मरीना बीच पर दफनाया गया। ब्राह्मण होने के बावजूद उनका दाह संस्कार नहीं कि्या गया। उनके पार्थिव शरीर को उनके राजनीतिक गुरू एमजी रामचंद्रन की समाधि के पास दफनाया गया। जयललिता के जाने के बाद कितनी बदल जाएगी राजनीति?
ऐसे में एक सवाल सबके मन में उठता रहा कि आखिर इसके पीछे वजह क्या थी? आखिर क्यों पार्टी और जयललिता की करीबी मित्र शशिकला ने उन्हें दफनाने का फैसला किया? आखिर क्यों नियमित रूप से प्रार्थना करने वाली और माथे पर आयंगर लगाने वाली अम्मा को दफनाया गया? अम्मा के पार्थिव शरीर को दफनाने के पीछे जानकार कई कारण बता रहे हैं। सैकड़ों करोड़ का अम्मा का साम्राज्य, जानें किसे क्या मिलेगा?
पहला कारण
जयललिता किसी जाति और धर्म की पहचान से अलग थीं। नास्तिकता द्रविड़ आंदोलन की एक अहम पहचान रही है, जिसने ब्राह्मणवाद को खारिज किया। द्रविड़ नेता सैद्धांतिक रूप से ईश्वर और प्रतीकों में यकीन नहीं रखते। इसी सिद्धांत की वजह से पेरियार, अन्ना दुरई और एमजीआर जैसे बड़े नेताओं को भी दफनाया गया। इसी परंपरा को कायम रखते हुए अम्मा को भी दफनाने का फैसला किया गया।
दूसरा कारण
अम्मा को दफनाने की पीछे राजनीतिक कारण भी है। जयललिता के अंतिम संस्कार से जुड़ी सारी रस्में उनकी करीबी दोस्त शशिकला ने किया। ऐसा करके वो संदेश देना चाहती थीं कि अम्मा की राजनीतिक विरासत पर अब उनका अधिकार है। जयललिता के रिश्ते में सिर्फ उनकी एक भतीजी दीपा जयाकुमार बची है, जो उनके भाई जयाकुमार की बेटी है, लेकिन शशिकला उन्हें अम्मा से दूर रखा। ऐसा इसलिए ताकि उनके उत्तराधिकार को कोई चुनौती न मिले।
तीसरा कारण
इसके पीछे एक कारण ये भी हो सकता है कि पार्टी उन्हे दफना कर उनकी स्मारक बना कर अपने बीच हमेशा जिंदा रख सके। जयललिता की समाधि एक राजनीतिक प्रतीक बन जाएगी। जिसका फायदा उनके पार्टी के नेता हमेशा उठाएंगे।