नरेंद्र मोदी भी नहीं ला सकते 26/11 के साजिशकर्ता हेडली को भारत
मुंबई। आज 26/11 की छठवीं बरसी हैं और आपने पहले हिस्से में पढ़ा (CLICK ON PREVIOUS)कि कैसे इस हमले ने देश में पुलिस व्यवस्था की कलई खोलकर रख दी। अब जानिए कि इस हमले की साजिश में शामिल डेविड कोलमेन हेडली,भारत के लिए हमेशा एक असफलता साबित होगा और क्यों नरेंद्र मोदी भी सारी कोशिशें के बाद भी इसे वापस नहीं ला सकते हैं।
हेडली के खिलाफ कुछ नहीं कर सकता कानून
वी बालचंद्र के मुताबिक सरकार ने स्थानीय नजरिए से फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद अंसारी के खिलाफ इस बात की जांच की कि आखिर इन्होंने कैसे नेपाल में लश्कर के ऑपरेटिव्स को मैप मुहैया कराए लेकिन इसके बाद भी अदालत ने इन्हें रिहा कर दिया।
मुंबई की क्राइम ब्रांच को इस बारे में हेडली से जुड़े तारों का पता काफी बाद में चला। फिलहाल जो जानकारी बालचंद्र के मुताबिक उनके पास है उसमें एफबीआई जिसकी गिरफ्त में हेडली इस समय है, उसके बारे में कुछ भी बताया नहीं गया है। अब एनआईए इस पूरे मुद्दे को आगे बढ़ा रही है।
वी बालचंद्र की मानें तो भले ही केंद्र में नई सरकार आ गई हो लेकिन वह भी डेविडे हेडली के मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है। उन्होंने बताया अगर कानून की बात करें तो किसी भी सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया जा सकता है।
केंद्र में इससे पहले यूपीए की सरकार ने जनता को यह कहकर भ्रम में डाला कि देश में हेडली को लाकर उसके खिलाफ ट्रायल शुरू किया जाएगा। लेकिन सरकार ने किसी को भी उस 'प्ली बार्गेन' समझौते के बारे में नहीं बताया जिसे अदालत तीन शर्ता के आधार पर पूरा किया गया था।
यह तीन शर्तें थीं
- हेडली कभी भी भारत प्रत्यर्पित नहीं होगा
- न ही हेडली को कभी डेनमार्क प्रत्यर्पित किया जाएगा
- न ही हेडली को भी मौत की सजा सुनाई जाएगी।
ओबामा भी नहीं बदल सकते हैं कानून
रॉ के पूर्व अधिकारी बालचंद्र की मानें तो अमेरिका के राष्ट्रपति भी इन शर्तों में कोई बदलाव नहीं कर सकते हैं। ऐसे में भारत को हेडली के लिए 35 वर्षों का इंतजार करना होगा जब तक कि वह अमेरिका की जेल में अपनी सजा पूरी नहीं कर लेता जो उसे 24 जनवरी 2013 को सुनाई गई थी। इसके बावजूद भारत को अमेरिका की अदालत से इस समझौते के तहत हेडली को भारत को सौंपे जाने के लिए एक आदेश हासिल करना होगा।