क्यों हेडली की गवाही के बाद भी लाचार रहेगा भारत?
मुंबई। मुंबई हमले का मुख्य अभियुक्त डेविड कोलमैन हेडली इस समय शिकागो से मुंबई कोर्ट के सामने हमलों के सिलसिले में अपनी गवाही दर्ज करा रहा है।
हेडली की गवाही को लेकर भारत में एक अलग सकारात्मक नजरिया है लेकिन दबी जुबान में लोग यह कहने में भी नहीं हिचक रहे हैं कि इस गवाही से भारत को ज्यादा उम्मीदें नहीं लगानी चाहिए।
दूसरे दिन भी पाक सेना और पाक की पोल खोलता हेडली
यह पहली बार नहीं है जब हेडली ने पाकिस्तान, आईएसआई और पाकिस्तान की सेना का कच्चा चिट्ठा दुनिया के सामने खोलकर रख दिया है। जरा याद करिए जब अमेरिका ने हेडली को हिरासत में लिया था और उसने हेडली से पूछताछ की थी।
हाफिज सईद और हिसार के साथ उसका कनेक्शन
हेडली ने उस समय भी कुछ इसी अंदाज में पाक की असलियत उस सुपर पावर देश को बताई थी जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करता है। भारत को न तो उस समय कुछ हासिल हुआ था और न ही इस बार कोई उम्मीद रखनी चाहिए।
पाक को आईना दिखाता हेडली का कुबूलनामा
एक नजर डालिए उन पांच वजहों पर कि आखिर क्यों हेडली की गवाई सिर्फ एक परंपरा का निर्वाहन करना है। क्यों भारत को ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए।
अमेरिका को मालूम सच
अमेरिका ने हेडली को वर्ष 2010 में मुंबई हमलों और डेनमार्क में आतंकी हमलों की साजिश का दोषी पाया था। फिर जब हेडली का ट्रायल शुरू हुआ तो उसने एक-एक करके पाकिस्तान, आईएसआई और मुंबई हमलों के बारे में सबकुछ बता डाला। वर्ष 2013 में हेडली को अमेरिकी कोर्ट ने 35 वर्ष की सजा सुनाई और कोर्ट ने साफ कहा कि हेडली एक आतंकी है।
राष्ट्रपति ओबामा पाक के सच से वाकिफ
मुंबई में हमले 26 नवंबर को हुए, 12 नवंबर को बराक ओबामा ने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में बड़ी जीत हासिल की। जनवरी 2009 में उन्होंने अपना पदभार ग्रहण कर लिया। वर्ष 2010 में हेडली का ट्रायल शुरू हुआ और ओबामा को पाक की असलियत मालूम होती गई। लेकिन राष्ट्रपति ओबामा सिर्फ बातें करते रहे। हेडली ने उसी समय उनको पाक, आईएसआई और पाक सेना की हकीकत बता दी थी।
हेडली भी वाकिफ सच से
हेडली के बारे में एक एनआईए अधिकारी कहते हैं कि वह एक घमंडी व्यक्ति है। वह जानता है कि भारत सिर्फ उसकी गवाही दर्ज करा सकता है। उसे मालूम है कि मुंबई की कोर्ट ने ही उसे क्षमादान दिया हुआ है। ऐसे में उसकी गवाही सिर्फ एक नियमित प्रक्रिया है।
सिर्फ पुरानी बातें आ रही हैं सामने
हेडली जो कुछ भी बता रहा है वह एनआईए के अधिकारी उस समय ही जान चुके थे जब वह जून 2011 में उसका बयान लेने के लिए अमेरिका गए थे। हेडली साथ ही इस सच से भी वाकिफ है कि अमेरिका समेत पश्चिमी देश पाकिस्तान के खिलाफ कभी कार्रवाई नहीं करेंगे।
सिर्फ अपने वादे को पूरा करता हेडली
हेडली ने जो कुछ भी किया उसका कोई अफसोस नहीं है। वह जानता है कि उसे कभी भी भारत, डेनमार्क या फिर पाकिस्तान को प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा। जो शपथ पत्र उसने अमेरिका में साइन किया है उसके मुताबिक वह जरूरत पड़ने पर अपना गवाह दर्ज कराएगा। ऐसे में वह सिर्फ अपने वादे को पूरा कर रहा है।