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क्यों घाटी में सेना के काफिले हैं आतंकियों का आसान निशाना

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श्रीनगर। शनिवार को पंपोर में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले ने एक बात की तरफ सबका ध्‍यान आकर्षित किया है। पिछले कुछ दिनों से सेना और सुरक्षाबलों के काफिले पर आतंकियों की नजरें लगी हुई हैं। अगस्त 2015 में उधमपुर में हुए आतंकी हमले के बाद तो जैसे सेना के काफिले पर हमलों की झड़ी सी लग गई है।

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खतरे में देश के सैनिक

जम्मू कश्‍मीर पुलिस के डायरेक्टर जनरल के राजेंद्र कुमार का कहना है कि सुरक्षाबलों के काफिले पर हमले वाकई हैरान करने वाले हैं। राजेंद्र कुमार की बात पर अगर गौर करें तो पता लगता है कि राज्य में सुरक्षाबलों के काफिलों पर हुए ये सभी हमले बढ़ते खतरे की ओर भी इशारा करते हैं।

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देश की सुरक्षा करने वाले सुरक्षित नहीं

अभी तक इस वर्ष ही सेना के काफिले पर तीन बड़े हमले हो चुके हैं और हालिया हमला पंपोर में हुआ आतंकी हमला है। इस हमले में आठ सीआरपीएफ जवानों की मौत हो गई थी।

जम्मू कश्‍मीर में सेना और सुरक्षाबल के वे काफिले जो सूनसान रास्तों से सफर करते हैं उन पर आजकल आतंकियों की नजरें सबसे ज्यादा हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बात काफी हैरान करने वाली है कि इन काफिलों को कोई सुरक्षा नहीं दी गई थी।

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बड़ा नुकसान करने की फिराक में आतंकी

सबको मालूम है कि जम्मू कश्‍मीर में अहम लड़ाई सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच ही है। आतंकियों का मानना है कि अगर वे सेना के काफिले को निशाना बनाते हैं तो वे बड़ा नुकसान कर सकते हैं।

इसके अलावा इन हमलों के बाद अक्सर कई चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आते हैं जिनसे सर्च ऑपरेशन और खतरनाक हो जाता है।

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क्यों नहीं मिलती बुलेट प्रूफ गाड़ी

जवान जिस बस में सफर करते हैं वे बुलेट प्रूफ नहीं होती हैं। कोई भी बुलेट प्रूफ वाहन उन्‍हें इस तरह के हमलों से बचा सकता है। सीनियर ऑफिसर्स की मानें तो इंटेलीजेंस काफी बड़ा और अहम सवाल है। उनका मानना है कि भले ही कोई इंटेलीजेंस हो या ना हो लेकिन सुरक्षा हमेशा चाक चौबंद रहनी चाहिए।

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कब-कब आतंकियों ने बनाया बड़ा शिकार

इस वर्ष फरवरी में पंपोर में ही आतंकियों ने सुरक्षाबलों को अपना निशाना बनाया था। उस समय भी सीआरपीएफ के दो जवानों की मौत हो गई थी।

इसके बाद तीन जून को आतंकियों ने बीएसएफ के काफिले को निशाना बनाया था। बीएसएफ का काफिला जम्मू श्रीनगर हाइवे से गुजर रहा था जब बिजबेहरा में उस पर हमला हुआ। इसके बाद 25 जून शनिवार को सीआरपीएफ के काफिले को फिर से निशाना बनाया गया।

पिछले वर्ष अगस्त में उधमपुर में आतंकी हमला हुआ था जिसमें बीएसएफ के दो जवान शहीद हो गए थे। इससे पहले 24 जून 2013 को सेना के आठ जवानों की मौत हो गई थी जब आतंकियों ने इसी तरह से उन्हें अपना निशाना बनाया था।

इससे पहले 19 जुलाई 2008 को भी सेना के काफिले पर हमला हुआ जिसमें 10 जवान शहीद हो गए। इस हमले में आतंकियों ने सेना की गाड़ी को ब्लास्ट से उड़ा दिया था।

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English summary
It is a well known fact that the fight of the terrorists in Jammu and Kashmir is with the security forces. They feel that they can kill as many as possible if the attack is on a convoy.
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