पाक हाई कमीशन के हाथ में आईएसआई जासूसों का रिमोट!
नर्इ दिल्ली। रविवार को जम्मू और कोलकाता में पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई के देश में मौजूद जासूसों का खुलासा हुआ है। इसके साथ ही एक बात और भी साफ हो गई है कि इस रैकेट के सक्रिय होने में पाकिस्तान हाईकमीशन का भी काफी योगदान रहा है।
बांग्लादेश से आई मदद
हाई कमीशन के रोल को इससे नकारा नहीं जा सकता है। मोहम्मद कलाम उर्फ एजाज की गिरफ्तारी यह साबित करने के लिए काफी है कि उसे बांग्लादेश स्थित पाक हाई कमीशन से काफी मदद मिली थी।
पाकिस्तान हाई कमीशन के हाथ में भारत में जासूसों को नियंत्रित करने की रिमोट देना कोई नई बात नहीं है। आईएसआई मानती है कि यह एक सुरक्षित जरिया है और ऐसे में वह इस पर काफी हद तक निर्भर रहने लगी है।
पाक हाई कमीशन और जासूसों का कनेक्शन
उत्तर प्रदेश के मेरठ से गिरफ्तार हुआ जासूस एजाज से पूछताछ में पता चला है कि वह सेना से जुड़ी कई गोपनीय जानकारियों को इकट्ठा करने का काम कर रहा था।
इंटेलीजेंस ब्यूरों के अधिकारियों के मुताबिक आईएसआई ने एजाज जैसे कई व्यक्तियों को देश के अलग-अलग स्थानों पर इसी तरह से सेना के बारे में गोपनीय जानकारियां इकट्ठा करने का काम दिया था।
फिलहाल जांच इस बात को ध्यान में रखकर आगे बढ़ाई जा रही है कि क्या एजाज और बाकी जासूसों को बांग्लादेश स्थित पाक हाई कमीशन से भी कोई मदद मिली। एजाज जिस डेस्क से नियंत्रित किया जा रहा था वह बांग्लादेश हाई कमीशन में तो नहीं।
साथ ही साथ इस बात का पता भी लगा है कि जो भी मैटेरियल एजाज ने इकट्ठा किया था, उसे उसने बांग्लादेश हाईकमीशन स्थित अपने हैंडलर को सौंपा था।
क्या हुआ था पिछले वर्ष
पिछले वर्ष चेन्नई में सामने आए प्रकरण में भी कुछ इसी तरह की समानता नजर आई थी। चेन्नई में सामने आए जासूसी गिरोह की जांच में पता लगा था कि ऑपरेटिव्स को कोलंबो स्थित पाक हाईकमीशन में कांउसलर ऑफिसर अमीर जुबेर सिद्दीकी की ओर से हैंडल किया जा रहा था।
जुबैर ऑपरेटिव्स को दक्षिण भारत की संवेदनशील जगहों से जानकारियां इकट्ठा करने को कहता था। उसका मकसद चेन्नई में 26/11 की ही तरह हमलों को अंजाम देना था।
हाई कमीशन आईएसआई की पहली पसंद
आईएसआई हमेशा से ही हाई कमीशन में तैनात अधिकारियों का चयन जासूसों को हैंडल करने के लिए करती है। एक हाई कमीशन या फिर काउंसलर ऑफिसर कभी भी जांच या फिर शक के घेरे में नहीं आ पाता है।
हाई कमीशन में तैनात अधिकारी को गिरफ्तार करना भी मुश्किल होता है और वह आसानी से पाकिस्तान वापस लौट सकता है।
अपने देश वापस लौटने के बाद आईएसआई उन्हें डेस्क जॉब सौंप देती है। एक बार उसकी असलियत पता लगाने पर वह ऑफिसर पाक से बाहर चला जाता है। आईएसआईएस किसी भी मिशन के सफल होने तक इसी रूटीन को फॉलो करती है।