आखिर क्यों नक्सलियों से लड़ने के लिए जरूरत है महिला पुलिस बल की
नई दिल्ली। नक्सलवाद देश के लिए बड़ी समस्या बनकर खड़ी है, ऐसे में इस समस्या ने निपटने के लिए केंद्र सरकार ने महिलाओं को भी इसके खिलाफ लड़ने के लिए आगे लाने का फैसला लिया है। नक्सलियों के लिए महिलायें एक हथियार हैं और महिलायें गांवों में नक्सलियों के लिए सपोर्ट सिस्टम खड़ा करने में अहम भूमिका निभाती हैं।
इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने अब महिलाओं को नक्सलियों से लड़ने के लिए कमांडो ट्रेनिंद देने का फैसला लिया है। नक्सल ऑपरेशन में 560 महिलाओं को भी शामिल किये जाने का फैसला ललिया गया है। अजमेर में जो महिलाओं को सीआरपीएफ बैच पास हुआ है उसे नक्सलियों से लोहा लेने के लिए तैयार किया जा रहा है।
कई महिलायें है नक्सलियों की सरगना
नक्सली महिलाओं को अपने खेमे में शामिल करते हैं और उन्हें बतौर लड़ाके की तरह इस्तेमाल करते हैं। कुछ महिलायें काफी अहम और पॉवरफुल भी हैं जो अभियान में अहम भूमिका निभाती हैं। महिलाओ की मदद से गांवों के बारे में अच्छी खासी जानकारी हासिल की जाती है।
महिलायें ही पहुंचाती है नक्सलियों तक जानकारी
अधिकतर मामलों में यह बात सामने आयी है कि गांव की ही महिला ने नक्सलियों के साथ जानकारी साझा की। महिलाओं की जो अहम जिम्मेदारी होती है वह है गांवों में सेना और पुलिस की मौजूदगी के बारे में अवगत कराना जिसका नक्सली फायदा उठा सके।
गांव की महिलाओं को जानकारी साझा करने में होगी आसानी
गांवों में महिलाओं से निपटने के लिए महिलाओं की खास तौर पर जरूरत होती है, वह महिलाओं से आसानी से बात कर सकती हैं। गांव की महिलाओं पुरुष अधिकारियों की बजाए महिलाओं से आसानी से बात कर सकती हैं। हालांकि महिलाओं को गांवों में महिला अधिकारियों के तैनात होने से फायदा मिलेगा लेकिन इससे इतर नक्सलियों से मुठभेड़ में भी अब महिला नक्सिलयों से लड़ने में सीआरपीएफ की महिलाओं को काफी आसानी होगी।
44 हफ्तों की ट्रेनिंग के बाद भेजा जा रहा है महिलाओंं को
सीआरपीएफ का हालिया बैच में महिलाओं को 44 हफ्तों की ट्रेनिंग दी गयी है। इसमें जंगल में बिना हथियार के लड़ने की भी ट्रेनिंग, स्मार्ट वेपन चलाने सहति कई ट्रेनिंग शामिल हैं। इसके बाद इन ट्रेन महिलाओं अधिकारियों को सबसे ज्यादा नक्सलियो से प्रभावित इलाके छत्तीसगढ़ के बस्तर और झारखंड के अन्य संवेदनशील इलाकों में भेजा जाएगा।