एएमयू और बीएचयू क्यों रहते हैं विवादों में?
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और अलीगढ़ मुस्लिम यूनवर्सिटी (एएमयू) में क्या समानता है? अगर यह सवाल आपसे कोई पूछे तो आप फौरन जवाब दे सकते हैं कि दोनों उत्तर प्रदेश में हैं। पर कायदे से देखा जाए तो इनमें सबसे बड़ी समानता यह है कि ये दोनों आमतौर पर किसी गलत वजह के चलते खबरों में रहते हैं।
भीषण हिंसा
बनारस में हाल में जिस ढंग की भीषण हिंसात्मक घटनाएं हुईं उनसे कोई भी भयभीत हो जाएगा। जिस ढंग से दो छात्रावासों, या यों कहिए छात्रों के दो समूहों के बीच संघर्ष में गोलियां चलीं, पेट्रॉल बमों का प्रयोग हुआ उसका अर्थ साफ है कि विश्वविद्यालय में अपराधी और असामाजिक तत्वों की व्यापक स्तर पर घुसपैठ हो चुकी है। 200के करीब छात्रों का घायल होने से ही स्थिति की भयावहता का प्रमाण मिल जाता है। एक छात्र की मौत की भी सूचना है। उधर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच आपसी मारपीट और दूसरी तमाम नेगेटिव खबरें आती रहती हैं।
कब उल्लेखनीय काम होगा एएमयू में
मौलाना आजाद के पौत्र और शिक्षाविद् फिरोज भख्त अहमद कहते हैं कि अलीगढ़ यूनीवर्सिटी से उन्हें कभी इस तरह की खबरें नहीं मिलती कि वहां के किसी छात्र या अध्यापक ने अपने क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय काम किया हो।
बनरास में छात्रसंघ बहाली की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है। प्रभारी कुलपति ने 30 नवंबर तक छात्र संघ चुनाव कराने का लिखित अश्वाशन दिया था। इसके बाद छात्र परिषद का चुनाव घोषित कर दिया गया। इसका विरोध हुआ और इससे तनाव बढ़ा। विश्वविद्यालय के प्रोक्टर का कहना है कि उनने छात्र परिषद का चुनाव न कराने का सुझाव दिया था जिसे अस्वीकार किया गया।
क्यों? स्वाभाविक ही इसे लेकर वहां दो गुट हो गए। छात्र परिषद चुनाव की तिथि तय हो गई। लेकिन उसमें भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने मतदान के लिए केवल एक घंटे का समय निर्धारित कर दिया। छात्र इसकी अविध 3 घंटे बढ़ाने की मांग कर रहे थे, जबकि प्रशासन एक घंटे की घोषित अवधि पर अड़ा था। इस बात की गहराई से जांच होनी चाहिए कि आखिर एक सामान्य आंदोलन में इतनी भयानक हिंसा कैसे हो गई?