अपना घर तक दान कर चुके हैं रामनाथ कोविंद, मिलिए उनकी फैमिली से
रामनाथ कोविंद की पत्नी का नाम सविता कोविंद है। इन दोनों ने 30 मई 1974 को शादी की थी। इनका एक बेटा है , जिसका नाम प्रशांत है।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने इस बार बड़ी जीत दर्ज की है। एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को 65.65 फीसदी वोट मिले हैं, वहीं यूपीए की उम्मीदवार मीरा कुमार के पक्ष में 34.35 फीसदी वोट मिले हैं। इसी के साथ रामनाथ कोविंद नए राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। इससे पहले बीजेपी ने बड़ा दांव चलते हुए रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया। कोविंद दलित चेहरा हैं, उनकी छवि भी साफ है, इन बातों को देखते हुए उन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया। इससे पहले राष्ट्रपति पद की दौड़ में दूर-दूर तक इनका नाम शामिल नहीं था। निश्चित रूप से कोविंद का चयन विपक्ष के लिए किसी सरप्राइज से कम नहीं था। फिलहाल उन्होंने बड़ी जीत दर्ज कर ली है। आइए मिलवाते हैं आपको नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के परिवार से....
रामनाथ कोविंद की पत्नी का नाम है सविता कोविंद
रामनाथ कोविंद की पत्नी का नाम सविता कोविंद है। इन दोनों ने 30 मई 1974 को शादी की थी। इनका एक बेटा है , जिसका नाम प्रशांत है। इनकी शादी हो चुकी है, जबकि बेटी का नाम स्वाति है, इन्होंने कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम, एलएलबी किया है और सफल वकील हैं।
तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं रामनाथ कोविंद
मौजूदा समय में बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। परौंख गांव में कोविंद अपना पैतृक मकान बारातघर के रूप में दान कर चुके हैं। इनके बड़े भाइयों के नाम- प्यारेलाल औरस्वर्गीय शिवबालक राम हैं।
Recommended Video
सर्वोच्च न्यायालय में कर चुके हैं वकालत
जून 1975 में आपातकाल के बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की शुरुआत की। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद रामनाथ कोविंद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने। इसके बाद वे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए।
कोविंद ने कानपुर नगर से किया इंटरमीडिएट
रामनाथ कोविंद ने कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट किया। इसके बाद डीएवी कॉलेज से बी कॉम और डीएवी लॉ कालेज से लॉ की डिग्री ली। इसके बाद दिल्ली में रहकर तीसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा पास की, लेकिन उन्होंने नौकरशाह बनने की जगह वकालत को तरजीह दी।