Flashback: देश में हाहाकार मचने से रोका था मुरली देवड़ा ने
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। मुरली देवड़ा नहीं रहे। उनकी मृत्यु के साथ ही देश ने एक इस तरह के नेता को खो दिया जो निहायत सुसंस्कृत था। वे मारवाड़ी समाज से आते थे। इसके बावजूद उन्होंने लंबे समय तक महाराष्ट्र में कांग्रेस की राजनीति की। यह छोटी बात नहीं है। जिस महाराष्ट्र में मराठी मानुष की बातें होने लगी हों, वहां पर एक मारवाड़ी राजनीति में इतना आगे गया हो। सबसे बड़ी बात यह है कि उनके सभी दलों में मित्र थे।
वे 2008 में यूपीए सरकार में पेट्रोलियम मंत्री थे। तब देश की प्रमुख पेट्रोल कंपनियों जैसे इंडियन आयल और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम वगैरह के मुलाजिमों ने अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल की धमकी धी।
ताकि हड़लात ना हो
सरकार के लाख समझाने के बावजूद की कि हड़ताल से देश में पेट्रोल,एलपीजी गैस और डीजल की कमी हो जाएगी और हालात काबू से बाहर हो जाएंगे, इसके बावजूद कर्मी हड़ताल वापस लेने के लिए तैयार नहीं थे। देवड़ा जी लगातार उनसे हड़ताल वापस लेने का आग्रह कर रहे थे। पेट्रोलियम मंत्रालय कवर करने वाले पत्रकारों को वे कहते थे कि समझ नहीं आ रहा कि हड़ताल को कैसे रोका जाए। हड़ताल हुई तो देश में हाहाकार मच जाएगा।
मधुर माषी देवड़ा
खैर, देवड़ा के प्रयासों से हड़ताल आखिरी वक्त पर टल गई। देश को पेट्रोल,डीजल और एलपीजी की किल्लत से दो -चार नहीं होना पड़ा। वे हड़ताली करने की धमकी देने वाले नेताओं से भी बेहद ही प्रेम से बात करते थे। पेट्रोलियम मंत्रालय को लंबे समय तक कवर करते रहे शशि झा ने कहा कि देवड़ा की मौत से देश ने सच मे एक बेहद शालीन नेता को खो दिया।
पार्टी पत्रकारों के लिए
मुरली देवड़ा राजधानी में साल में एकाध पार्टी पत्रकारों के लिए जरूर रखते थे। उसमें वे घंटों ही पत्रकारों के सवालों के जवाब तमाम मसलों पर देते थे। कभी वे आवेश में नहीं आते थे। उनके उत्तर हमेशा छोटे रहते थे।
देवड़ा उन दिनों बहुत आहत थे जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए मुरली देवड़ा, मुकेश अंबानी और वीके सिब्बल के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश एंटी करप्शन ब्रांच को दिए थे। केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि ये सब लोग ही गैस की कमी और इसकी बढ़ती कीमतों के लिए जिम्मेदार हैं।