राहुल-वरुण के 'भरत मिलाप' पर सियासी हलचल क्यों?
नयी दिल्ली। गांधी परिवार दो टुकड़ों में बंटा है। सोनिया गांधी का परिवार और मेनका गांधी का परिवार। शायद ही कभी ये दोनों परिवार एक दूसरे के साथ दिखते हैं। बहुत कम मौके होते हैं जब ये परिवार राजनीतिक विरोध छोड़कर साथ आते हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला, जब दो गांधी भाई एक साथ दिखें। जी हां हम बात कर रहे हैं राहुल गांधी और वरुण गांधी की।
दोनों ना केवल साथ दिखें बल्कि एक दूसरे का समर्थन भी करते रहे। मौका था विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति की बैठक का, जहां राहुल गांधी और वरुण गांधी एक साथ आए। दोनों साथ में बैठे और एक दूसरे के उठाए मुद्दों से सहमत भी दिखे।
बैठक के दौरान कई मौकों पर राहुल और वरुण एक साथ सहमत दिखे। ऐसा बहुत कम होता है जब ये दोनों भाई एक दूसरे के प्रति सहमति दिखाते हैं, लेकिन इस बैठक में जो हो रहा था उसे देखकर सब हैरान हो रहे थे। ऐसे में लाजिमी है कि जब दो विरोधी एक दूसरे से सहमत दिखे तो सियासी गलियारे में हलचल तो होगी ही।
राहुल और वरुण के इस भरत मिलाफ पर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरु हो गई। मीडिया ने भी इसके मायने निकालने शुरु कर दिए, लेकिन राहुल ने इसे महज एक औपचारिकता बताते हुए कहा कि हम वहां सिर्फ एक बैठक के लिए थे इससे ज्यादा कुछ नहीं।