नोटबंदी के ऐलान से पहले पीएम मोदी के घर पर क्या हो रहा था
रायटर्स का कहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोट बंदी के ऐलान से पहले कहा था, 'अगर नोट बंदी असफल साबित हुई तो मैं जिम्मेदार हूं।'
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोट बैन ऐलान पर दुनिया के कोने-कोन से प्रतिक्रिया आ रही है। कोई इसकी तारीफ कर रहा है तो कोई इसे एक गलत कदम बता रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कदम के बारे में आपको जानकारी देने वाले थे, उनकी मनोदशा कैसी थी? वह क्या सोच रहे थे और उनके घर के अंदर क्या-क्या कुछ हो रहा था?
पीएम मोदी के साथ थी एक टीम
न्यूज एजेंसी रायटर्स की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में आठ नवंबर के उस दिन के बारे में पूरी जानकारी दी गई है जब पीएम मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोट को चलन से बाहर करने और 2000 रुपए के नए नोट का ऐलान आप सबके सामने किया था।
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रायटर्स की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त मंत्रालय में एक सीनियर ऑफिसर हंसमुख अधिया के साथ उनके पांच और साथी पीएम मोदी की इस नोट बंदी की योजना में शामिल थे।
छह लोगों की इस टीम से पीएम मोदी ने पूरे मसले को सीक्रेट रखने का वादा लिया था।
रिसर्च की भी एक टीम
रायटर्स ने कुछ सूत्रों के हवाले से लिखा है कि छह लोगों की इस टीम के साथ युवा रिसर्चर्स की टीम भी शामिल थी।
आठ नवंबर को पीएम मोदी ने जब बतौर प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल का एक सबसे साहसिक कदम उठाया तो यह रिसर्च टीम उनके घर के दो कमरों में दिन रात एक किए हुए थी।
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पीएम मोदी नहीं चाहते थे कि नोट बंदी के ऐलान से पहले हल्की सी भी जानकारी लीक हो और लोगों को इस बारे में कुछ पता भी चले। इसलिए पीएम मोदी ने टीम से इस पूरे मिशन को सीक्रेट रखने का वादा लिया था।
पीएम मोदी जानते थे कि अगर ब्लैक मनी होल्डर्स को इसके बारे में कुछ भी पता लगा तो वे अपने पास मौजूद पैसे को प्रापॅर्टी, सोना या फिर इसी तरह की बाकी चीजों में इनवेस्ट कर सकते हैं।
फेल होने पर जिम्मेदारी लेने को तैयार थे पीएम
रायटर्स की मानें तो पीएम मोदी ने इस ऐलान के साथ ही कई तरह के खतरे भी मोल लिए।
पीएम मोदी इस बात से वाकिफ थे कि इस पूरे प्लान के साथ ही उनकी प्रतिष्ठा और लोकप्रियता दोनों ही दांव पर लगी है। इसके बावजूद वह इस फैसले को लेने से नहीं हिचके।
ऐलान से पहले हुई एक कैबिनेट मीटिंग में पीएम मोदी ने कहा, 'मैंने इससे जुड़ी सारी रिसर्च कर ली है। अगर इसमें कुछ भी गलत होता है या फिर यह असफल साबित होता है तो फिर मैं उसके लिए जिम्मेदार हूं।'
रायटर्स ने कैबिनेट मीटिंग में शामिल तीन मंत्रियों के हवाले से यह बात लिखी है।
20,000 करोड़ डॉलर का कैश बना कूड़ा
पीएम मोदी के इस ऐलान के साथ ही एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में 86 प्रतिशत नकदी बेकार हो गई।
पीएम मोदी ने एक झटके में 20 हजार करोड़ डॉलर की रकम को रद्दी के टुकड़ में बदल दिया।
नोट बंदी के ऐलान से पहले पीएम मोदी ने यह सवाल भी किए कि भारत में कितनी जल्दी नए नोट छप सकते हैं? उन्हें कैसे डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा और क्या नई रकम से राष्ट्रीय बैंकों को कुछ फायदा होगा और नोट बंदी से वे कौन से लोग हैं जिन्हें फायदा पहुंचेगा?
ऐलान से पहले अलर्ट थे पीएम
एक सीनियर ऑफिसर की मानें तो, 'वह सारे पत्ते नहीं खोलना चाहते थे। अगर किसी को जरा भी अंदाजा लग जाता तो सारी मेहनत बेकार हो जाती।'
अधिया की अगुवाई में रिसर्च टीम ने एक अभ्यास किया जिसमें इस फैसले के प्रभाव का अनुमान लगाया गया।
रिसर्च टीम में डाटा और फाइनेंस रिव्स करने वाले युवा शामिल थे, इनमें से कुछ वह थे जो पीएम मोदी का सोशल मीडिया अकाउंट और वह स्मार्टफोन एप संभालते हैं।
वहीं इस बड़ी योजना और तैयारियों के बावजूद पीएम मोदी और अधिया जानते थे कि जरूरी नहीं कि हर अंदाजा सही हो और इसलिए उन्हें संभलकर चलने की जरूरत है।
कौन हैं अधिया
जो अहम टीम इस पूरे मिशन को संभाल रही थी उसके लीडर हंसमुख धिया थे। 58 वर्ष के आधिया वर्ष 2003-2006 में पीएम मोदी के गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए प्रिंसिपल सेक्रेटरी थे।
आधिया पीएम मोदी से डायरेक्टर कॉल पर बात करते हैं और दोनों लोग गुजराती में चर्चा करते हैं।
सितंबर 2015 में अधिया को रेवेन्यू सेक्रेटरी बनाया गया था। इस पद के साथ ही वह वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ काम करने लगे और उन्हें संपर्क करते।