सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान में क्या कर रहे हैं आतंकी और क्या है उनकी रणनीति
सितंबर 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सीमा पार मौजूद आतंकियों में किसी भी पल निशाना बनाए जाने का खौफ। आतंकियों को डर एक नई सर्जिकल स्ट्राइक में उन्हें बनाया जा सकता है निशाना।
नई दिल्ली। सितंबर 2016 में उरी आतंकी हमले के बाद इंडियन आर्मी ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक लॉन्च की और आतंकियों के कई कैंप्स तबाह कर दिए। इस सर्जिकल स्ट्राइक ने आतंकियों को डराया जरूर लेकिन इसके बाद भी वह चुप बैठने को तैयार नहीं हैं। जानिए आखिर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आतंकी आजकल क्या कर रहे हैं।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद डरे आतंकी
सर्जिकल
स्ट्राइक
के
बाद
आतंकवादी
हर
पल
एक
डर
के
साए
में
जीने
को
मजबूर
हैं।
उन्हें
इस
बात
का
डर
बना
हुआ
है
कि
एक
और
सर्जिकल
स्ट्राइक
में
उन्हें
किसी
भी
पल
निशाना
बनाया
जा
सकता
है।
हाल
ही
में
सरकार
की
ओर
से
संसद
को
जानकारी
दी
गई
है
कि
सर्जिकल
स्ट्राइक
के
बाद
पाकिस्तान
की
ओर
से
घुसपैठ
और
युद्धविराम
तोड़े
जाने
की
घटना
में
कमी
आई
है।
आतंकियों ने शिफ्ट किए अपने कैंप्स
सर्जिकल स्ट्राइक के समय इंडियन आर्मी के सैनिकों के लिए आतंकी कैंपों को पहचानना आसान नहीं था। इसके बावजूद इसे बड़ी चतुराई से अंजाम दिया गया। अधिकारियों की मानें तो पाकिस्तानी आतंकवादियों को एक सेकेंड के लिए भी इस बात का अहसास नहीं हुआ था कि अगले पल में क्या होने वाला है। आज हालात यह हैं कि आतंकियों ने अपने कैंप्स शिफ्ट कर लिए हैं।
नई रणनीति पर काम कर रहे हैं आतंकी
आतंकियों के पास अब एक नई रणनीति है जिसके तहत वह पीओके के रिहायशी इलाकों में अपने कैंप्स बना रहे हैं। आतंकियों का मानना है कि ऐसे इलाकों और नागरिकों के बीच रहने की वजह से इंडियन आर्मी का उनको निशाना बनाना आसान नहीं होगा। आर्मी के लिए नागरिकों और आतंकवादियों के बीच अंतर करना काफी मुश्किल हो जाएगा।
इस बार कैंप्स में कम आतंकी
इंटेलीजेंस ब्यूरों (आईबी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पीओके में नए कैंप्स हैं। सभी कैंप्स रिहायशी इलाकों में हैं। सर्जिकल स्ट्राइक में जो कैंप्स तबाह हो गए थे उन्हें अब आतंकी संगठनों ने छोड़ दिया है। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से आतंकी उस जगह पर दोबारा नहीं गए हैं। आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक इन नए कैंप्स में आतंकियों की संख्या जरूर कम है।
चार कैंपों में 20 आतंकी
आतंकियों को लगता है कि आतंकियों की संख्या अगर ज्यादा हुई तो फिर उन्हें पहचानना आसान होगा। आतंकियों को पाकिस्तान से पीओके में भेजा जाता है और कितने आतंकी जाएंगे यह भर्ती किए गए आतंकवादियों की संख्या पर निर्भर करता है। आतंकियों को निर्देश दिए गए हैं कि कैंप्स की संख्या चार से ज्यादा नहीं होनी चाहिए जिनमें 20 आतंकी ही हों।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सुधरा पाक
पिछले दिनों गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर की ओर से एक लिखित जवाब में बताया गया कि सितंबर 29 को जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो उससे तीन माह पहले जम्मू कश्मीर में 110 आतंकी हमले हुए थे। इन हमलों में सुरक्षाबलों के 34 जवान शहीद हुए जो वहीं सात नागरिकों की मौत भी हो गई थी।
सर्जिकल स्ट्राइक से पहले और बाद की स्थिति
सर्जिकल स्ट्राइक से पहले पाकिस्तान की ओर से हर दिन युद्धविराम तोड़ा जाता था। एलओसी पर जहां 228 बार युद्धविराम तोड़ा गया तो वहीं आईबी पर करीब 221 घटनाएं दर्ज हुई। वहीं सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एलओसी पर 22 और आईबी पर छह बार युद्धविराम तोड़ा गया। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद तीन माह के अंदर 87 आतंकी वारदातें हुईं जिनमें सुरक्षाबलों के 19 जवान शहीद हुए तो छह नागरिकों की मौत हुई।
भारत ने दिया कड़ा संदेश
वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश देने का प्रयास किया है। पाकिस्तान को अब यह बात बखूबी मालूम हो गई है कि भारत सीमा पार से जारी आतंकवाद और युद्धविराम उल्लंघन को हल्के में नहीं लेगा।लंबे समय तक भारत शांत रहा है लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक ने साफ कर दिया है कि भारत शांत नहीं बैठेगा।