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क्या है राइट टू प्राइवेसी या निजता का अधिकार? साल 1895 से हो रही है इस पर बहस

By Rahul Sankrityayan
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नई दिल्ली। आज सुप्रीम कोर्ट राइट टू प्राइवेसी यानी निजता के अधिकार पर फैसला सुना दिया लेकिन क्या आपको पता है कि निजता का अधिकार है क्या? बता दें कि हमारे संविधान में सीधे तौर पर निजता के अधिकार का जिक्र नहीं है। हालांकि व्यवहारिकता में इसे अनुच्छेद 21, सम्मान से जीवन के अधिकार का हिस्सा माना जात है। जिसका मतलब हुआ कि अगर कानूनी बाध्यता ना हो और कानूनी रास्ता ना अख्तियार किया जाए तो सरकार किसी की निजता का हनन नहीं कर सकती।

साल 1954 और 1962 में SC ने कहा था...

साल 1954 और 1962 में SC ने कहा था...

गौरतलब है इससे पहले साल 1954 और साल 1962 में सुप्रीम कोर्ट के दो फैसले निजता के अधकार के संदर्भ में आए थे। जिनमें यह कहा जा चुका है कि निजता मौलिक अधिकार नहीं है। मौजूदा मामले में केंद्र सरकार का तर्क है कि अगर निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार मान लिया जाएगा तो व्यवस्थाओं का चलतना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि राज्यसभा में वित्त और रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने 16 मार्च साल 2016 को आधार विधेयक पर बहस के दौरान यह कहा था कि निजता एक मौलिक अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है।

जेटली ने कहा था

जेटली ने कहा था

जेटली ने कहा था कि 'मौजूदा विधेयक (आधार विधेयक) पहले से ही मानता है और इस पर आधारित है कि यह नहीं कहा जा सकता कि निजता मौलिक अधिकार नहीं है। इसलिए मैं स्वीकार करता हूं कि संभवत: निजता एक मौलिक अधिकार है।'

साल 1895 का विधेयक

साल 1895 का विधेयक

बता दें कि राइट टू प्राइवेसी का मामला सबसे पहले 1895 में उठा था। इसी साल भारतीय संविधान बिल में भी राइट टू प्राइवेसी की मजबूती से वकालत की गई थी। 1895 में लाए गए विधेयक में कहा गया था कि कि हर शख्स का घर उसका बसेरा होता है और सरकार बिना किसी ठोस कारण और कानूनी अनुमति के वहां जा नहीं सकती।

तब महात्म गांधी थे समिति के सदस्य

तब महात्म गांधी थे समिति के सदस्य

फिर साल 1925 में एक समिति ने 'कामनवेल्थ ऑफ इंडिया बिल' को बनाने के दौरान राइट टू प्राइवेसी का जिक्र किया था। इस समिति में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी सदस्य थे।

बाबा साहेब ने कहा था- है निजता का अधिकार

बाबा साहेब ने कहा था- है निजता का अधिकार

इसके साल 1947 के मार्च में भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने राइट टू प्राइवेसी का जिक्र करते हुए कहा था कि लोगों को उनकी निजता का अधिकार है। आंबेडकर ने कहआंबेथा कि इस अधिकार का उल्लंघन रोकने के लिए कड़े मानक तय करने की आवश्यकता थी।

लेकिन आंबेडकर ने यह भी कहा था

लेकिन आंबेडकर ने यह भी कहा था

हालांकि उनका कहना यह भी था कि अगर किसी वजह से निजता के अधिकार में दखल देना सरकार के लिए जरूरी हो जाए तो सब कुछ अदालत की देख रेख में होना चाहिए।

ये भी पढ़ें: Live: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, निजता मौलिक अधिकार है या नहींये भी पढ़ें: Live: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, निजता मौलिक अधिकार है या नहीं

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English summary
What is right to privacy and its history in india
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