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पाइप से बियर सप्लाई की जा सकती है, तो पानी के लिये ट्रेन क्यों?

By Ajay
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[अजय मोहन] वर्ष 1876-78 में महाराष्ट्र में अकाल पड़ा। उस वक्त करीब साढ़े पांच लाख लोगों की मौत हुई। सबसे ज्यादा मौतें मराठवाड़ा में हुईं। इस लातूर में तब केवल गिद्द पहुंच सकते थे, वो भी जगह-जगह पड़ी लाशों को खाने के लिये। आज ट्रेन से लातूर तक 5 लाख लीटर पानी पहुंचाया गया, तो सरकार अपनी पीठ थपथपाने में जुटी है।

Water Train

अगर सरकार ने ठीक तरह से अध्ययन किया होता या फिर सूखे से कैसे निबटा जाता है, इसकी सीख ऑस्ट्रेलिया से ली होती, तो आज लातूर पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया कलगूरली की तरह हाईटेक होता। और अगर पाइप से बियर सप्लाई की जा सकती है, तो पानी के लिये ट्रेन क्यों चलानी पड़ रही है?

जी हां जिस तरह महाराष्ट्र और राजस्थान के कई इलाकों को हर साल सूखे की मार झेलनी पड़ती है, उसी प्रकार पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के कलगूरली में भी सूखा पड़ता है। लेकिन वहां पानी ट्रेन से नहीं पाइपलाइन से पहुंचाया जाता है। वो भी एक-दो किलोमीटर लंबी नहीं, बल्क‍ि पूरी 530 किलोमीटर लंबी। ऑस्ट्रेलिया का कलगूरली सोने की खाने के लिये जाना जाता है और वहां लगभग हर साल औसत से कम बारिश होती है।

एक समय था, जब वहां भी ट्रेन व ट्रैंकर से पानी पहुंचाया जाता था, लेकिन 1903 में 530 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन पर्थ से कलगूरली तक बिछायी गई। और आज वही पाइपलाइन पूरे शहर के लिये पानी का बड़ा स्रोत है। इससे आने वाले पानी को घरों तक पहुंचाने के साथ-साथ फैक्ट्रियों व किसानों तक को सप्लाई किया जाता है।

पाइपलाइन बिछाना भारत की जरूरत

अब समय आ गया है, जब देश के कई हिस्सों में पानी पाइपलाइन के जरिये पहुंचाने की जरूरत है। खास कर विदर्भ, महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र, यूपी का बुंदेलखंड, राजस्थान के लगभग सभी मंडल, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिमी बिहार, कर्नाटक, उत्तर कर्नाटक, आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जहां हर साल पानी का संकट गहरा जाता है।

कहां से लायें पानी?

ब्रह्मपुत्र नदी, गंगा नदी, कोसी नदी, वो नदियां हैं, जो लगभग हर साल उफान पर रहती हैं। इनका पानी पहाड़ों से निकलता है और समुद्र में जाकर मिल जाता है। अगर इन नदियों का पानी किसी निश्च‍ित जगह पर बांध बनाकर रोक लिया जाये और उस बांध में एकत्र होने वाले पानी को अन्य प्रभावित क्षेत्रों में सप्लाई किया जाये, तो सूखे की समस्या हमेशा के लिये समाप्त हो सकती है।

पाइप से 2800 किमी दूर भेजा जाता है पानी

दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में 1944 में मॉर्गन-वायल्ला पाइपलाइन, 1955 में बनी मन्नुम-एडिलेड लाइन हैं, जिनसे एक शहद से दूसरे शहर तक पानी सप्लाई होता है। लॉस एंजलेस, कैलीफोर्निया से भी दूरस्थ इलाकों तक पाइपलाइन द्वारा पानी पहुंचाया जाता है।

पढ़ें- क्या लातूर की प्यास बुझा पायेगा 5 लाख लीटर पानी?

लीबिया में 3,680,000 क्यूबिक मीटर पानी प्रति दिन त्रिपोली, बेंघाज़ी, सिरते व अन्य शहरों में करीब 2800 किलोमीटर (यानि दिल्ली से बेंगलुरु की दूरी के बराबर) लंबी पाइपलाइन द्वारा पानी सप्लाई किया जाता है।

क्या-क्या सप्लाई होता है पाइप से

अब यह मत कहियेगा कि शिमला से लातूर तक पाइप बिछाना भारत के बस की बात नहीं। जब डेनमार्क जैसा छोटा सा देश पाइप से करीब 10 किलोमीटर की दूरी तक बियर, शराब और 15 किलोमीटर की दूरी तक दूध सप्लाई कर सकता है, तो भारत पानी क्यों नहीं।

अगर पेट्रोल पहुंचाने के लिये ईरान से भारत तक पाइप बिछाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है, तो कोसी से कावेरी तक पाइप क्यों नहीं बिछाया जा सकता है?

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English summary
Bringing Water through train is not at all a good solution for Latur. India must think to establish pipeline to drought affected areas.
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