क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

VIDEO देखिए और जानिए आखिर क्‍यों कह रही हैं ये लड़कियां- कोई चीज नहीं मैं मस्‍त-मस्‍त

एसआईईएस कॉलेज, सायन की स्टूडेंट निशात करगाथला ने पुराने जमाने के हिट गाने ‘लैला मैं लैला' के बोल को ‘नारी ओ नारी, आज की नारी, दुनिया बदल दे तू, ऐसी ये नारी...' से बदल डाला।

Google Oneindia News

मुंबई। महिलाओं के मान-सम्‍मान के लिए काम करने वाली स्‍वयंसेवी संस्‍था अक्षरा सेंटर ने अब बॉलीवुड के डबल मिनिंग (द्विअर्थी गाने) के खिलाफ कैंपेन चलाया है। इस कैपन का नाम "#gaana re write" है। इस कैंपेन के अंतर्गत डबल मिनिंग गानों के खिलाफ अक्षरा सेंटर ने 'पेन उठाओ, गाना घुमाओ' नाम से एक प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता में लोगों से पुरुषवादी और द्विअर्थी हिंदी फिल्‍मी गीतों को नए अर्थों और संदर्भों में लिखने के लिए कहा गया।

VIDEO देखिए और जानिए आखिर क्‍यों कह रही हैं ये लड़कियां- कोई चीज नहीं मैं मस्‍त-मस्‍त

उन्‍हें सैकड़ों की तादाद में गाने मिले। इनमें तीन बेस्ट एंट्रीज को हाल ही में सम्मानित भी किया गया। इन्‍हीं गानों में से एक था 'कोई चीज नहीं मैं मस्‍त-मस्‍त'। यह गाना 'तू चीज बड़ी है मस्‍त-मस्‍त' को बदलकर बनाया गया। इसके अलावा इस अभियान में पॉपुलर आइटम सांग को नए शब्‍दों और नए अर्थों में गाया गया और हर बार यह सवाल पूछा गया 'इसे ऐसे लिखते तो'।

'न जाओ सइयां छुड़ा के बइंया' के नए अंदाज को मिला पहला स्‍थान

'न जाओ सइयां, छुड़ा के बइयां', फिल्म 'साहब, बीवी और गुलाम' का सदाबहार गीत है, लेकिन 60 वर्षीय सीनियर सोशल वर्कर मनीषा गुप्ते के मुताबिक, 'ये गाना क्लासिक होने के बावजूद कहीं न कहीं एक औरत की गरिमा पर चोट करता है। मनीषा ने इस गाने को मां-बाप की प्रॉपर्टी में बेटे और बेटी को बराबर हक मिलने की पैरवी करने वाले नए बोल 'ना मानूं भइया, पड़ो भी पइयां, कसम तुम्हारी मैं तो लड़ूंगी, हां लडूंगी' से बदलकर 'पेन उठाओ, गाना घुमाओ' कॉन्टेस्ट में पहला स्थान हासिल कर लिया। PICS: जानिए पत्‍नी और गर्लफ्रेंड को कुत्ता बनाकर रखने वाले ड्रग्‍स माफिया के बेडरूम सीक्रेट्स

'लैला मैं लैला' का नया अंदाज

एसआईईएस कॉलेज, सायन की स्टूडेंट निशात करगाथला ने पुराने जमाने के हिट गाने 'लैला मैं लैला' के बोल को 'नारी ओ नारी, आज की नारी, दुनिया बदल दे तू, ऐसी ये नारी...' से बदल डाला। निशात के अलावा 'खाली-पीली, खाली-पीली रोकने का नइ, तेरा पीछा किया, तो टोकने का नइ' गाने को 'खाली-पीली, खाली-पीली रोकने का नइ, तुझ पे एफआईआर किया, तो चौंकने का नइ', जैसे नए बोल देने वाली नवी मुंबई की साइकोलॉजिस्ट सदफ विधा गौतम गोपालकृष्णा भी दूसरे स्थान पर रहीं।

क्‍या कहती हैं अक्षरा सेंटर की डायरेक्टर नंदिता शाह

नंदिता शाह कहती हैं, "गाने हम सभी सुनते हैं, नाच लेते हैं, गुनगुना लेते हैं। लेकिन हममें से ज्यादातर लोग गानों के अर्थ और उसके सामाजिक परिणामों को समझने की कोशिश नहीं करते। एक गाना औरत को चीज बनाकर पेश कर रहा है और हमारा समाज बिना किसी सवाल के उसे स्‍वीकार रहा है।"

नंदिता कहती हैं, "जब तक लोग खुद यह बात नहीं समझते कि किस तरह के गाने सही हैं, किस तरह के गाने गलत, किस गाने को सुना जाना चाहिए और किसको नहीं, तब तक हम मौखिक विरोध या सोशल मीडिया पर बातों के स्तर से आगे नहीं बढ़ सकते। अकेले यह संभव नहीं। इसमें लोगों को जोड़ा जाना ज़रुरी है।"

आप भी देखें उन गानों का VIDEO

Comments
English summary
Watch Video: Why these girls are singing "Koi Cheez Nahi Mai Mast-Mast".
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X