पूर्व रेल मंत्री एलएन मिश्रा मर्डर केस: 39 साल से चल रहे केस का 8 दिसंबर को होगा फैसला
नई दिल्ली। दिल्ली के एक न्यायालय ने सोमवार को पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की हत्या के मामले में 39 सालों से चल रहे मुकदमे का फैसला आठ दिसंबर के लिए टाल दिया। जिला न्यायाधीश विनोद गोयल सोमवार को मामले पर अंतिम फैसला सुनाने वाले थे, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए फैसले की तिथि आगे बढ़ा दी कि फैसला तैयार नहीं है। हिंदू समुदाय आनंद मार्ग के चार संतों गोपालजी, रंजन द्विवेदी, संतोषानंद अवधूत और सुदेवानंद अवधूत पर मामले के तहत मुकदमा चल रहा था।
उल्लेखनीय है कि दो जनवरी 1975 में रेल मंत्री रहे मिश्रा समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर (बिहार) ब्रॉड-गेज रेलवे लाइन के उद्घाटन के लिए समस्तीपुर गए थे। कार्यक्रम के दौरान मंच पर किए गए बम विस्फोट में मिश्रा गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्हें दानापुर रेलवे अस्पताल ले जाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप लगाया था कि मिश्रा पर हमला आनंदमार्गियों ने करवाया था, ताकि सरकार पर उनके समूह के नेताओं को रिहा करने का दबाव बना सकें।
सर्वोच्च न्यायालय ने 1979 में मुकदमा दिल्ली की न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया था, जिसके बाद 1981 में आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार दिल्ली की निचली अदालत ने 39 साल पुराने मुकदमे की अंतिम सुनवाई सितंबर 2012 को शुरू की थी। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के 160 गवाहों, अदालत के पांच गवाहों और बचाव पक्ष के 40 गवाहों से पूछताछ हुई थी।