जुमे की नमाज के लिए उत्तराखंड सरकार ने किया छुट्टी का ऐलान, विवाद शुरू
उत्तराखंड में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों को जुमे की नमाज के वाले दिन छुट्टी देने का प्रस्ताव पारित किया है।
देहरादून। उत्तराखण्ड के सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले मुस्लिमों को कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने हर शुक्रवार यानी जुमे की नमाज अदा करने के लिए डेढ़ घंटे (90 मिनट) की छुट्टी देने का फैसला किया है।
इस संबंध में प्रस्ताव शनिवार (17 दिसंबर ) को कैबिनेट की बैठक में पारित किया गया।
वहीं सरकार के इस फैसले का विरोध और इस पर सियासत दोनों शुरू हो गई है। राज्य में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई है।
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भाजपा ने फैसले को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
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भाजपा के नलिन कोहली ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि वोट के लिए कांग्रेस सरकार किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इसमें क्या तर्क है?
नलिन ने यह भी कहा कि अगर कल को हिन्दू सोमवार को शिव की पूजा या फिर मंगलवार के दिन हनुमान पूजा करने के लिए 2 घंटे की छुट्टी मांगने लगे तो क्या होगा?
भाजपा की आपत्तियों और आरोपों का जवाब देने के लिए कांग्रेस की उत्तराखण्ड इकाई ने अयोध्या के राम मंदिर का सहारा लिया।
कांग्रेस ने कहा - सोना और रुपए खाकर राम मंदिर बन गया
आरोपों का जवाब देते हुए राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष, किशोर उपाध्याय ने कहा कि यदि यह फैसला चुनावी स्टंट है तो यह भी देखा जाना चाहिए कि 1400 करोड़ रुपए के साथ 800 टन सोना खाकर राम मंदिर बना गया।
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वहीं इस पूरे मसले पर राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कई मुस्लिम नमाज अदा करते हैं। वो इसके लिए आधिकारिक तौर पर एक तय समय पाने के हकदार हैं।
रावत ने दी सफाई
रावत के अनुसार यह फैसला आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए नहीं लिया जा रहा है।
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रावत ने कहा कि यह फैसला मुस्लिम कर्मचारियों को ड्यूटी के वक्त नमाज अदा करने के दौरान समय निर्धारित करने की समस्या से निजात दिलाने के लिए किया गया है।