#UriAttack: जानिए किस रास्ते से घुसे आतंकी और किसका उठाया फायदा?
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में 12वीं ब्रिगेड की छावनी पर आत्मघाती हमले में भारतीय सेना को जबरदस्त नुकसान हुआ है। इस हमले में 17 जवान शहीद हो गए हैं।
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लगभग 20 जवानों के घायल होने की भी खबर है, जिनमें कुछ की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है।
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शहीद होने वाले सभी जवान डोगरा रेजीमेंट के थे। इस हमले के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आतंकी आर्मी बेस तक पहुंचे कैसे?
झेलम के रास्ते PoK से घुसे आतंकी
सेना ने शुरुआती छानबीन में इस बात की संभावना जाहिर की है कि उरी के आर्मी ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स पर झेलम के रास्ते PoK के सलामाबाद नाले से चार-पांच आतंकी घुसे थे। ये आतंकी तार काटकर कैंपस में घुसे। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उरी बेस पर घुसे आतंकियों ने 24 से 48 घंटे पहले ही घाटी में घुसपैठ की होगी।
ड्यूटी अदला-बदली का उठाया फायदा
आतंकी सुबह लगभग 3.30 बजे आर्मी बेस पर पहुंचे। उन्होंने जवानों की ड्यूटी की अदला-बदली का फायदा उठाया और तार काटकर बेस के अंदर दाखिल हो गए। बेस में घुसपैठ करने के बाद आतंकी दो हिस्सों में बंट गए। आतंकियों का एक ग्रुप कैम्प के अंदर ग्रेनेड फेंका।
दूसरा ग्रुप आर्मी बेस के एडमिनिस्ट्रेटिव बैरेक में घुसा
वहीं दूसरा ग्रुप आर्मी बेस के एडमिनिस्ट्रेटिव बैरेक में घुसा। वहां उन्होंने फायरिंग की और ग्रेनेड फेंके। आतंकियों ने खासकर उन टेंटों कां निशाना बनाया जहां डोगरा रेजीमेंट के जवान ड्यूटी खत्म कर सो रहे थे। लगातार ग्रेनेड अटैक से10 टेंटों में आग लग गई। दावा किया जा रहा है कि इसी आग से झुलसकर ज्यादातर जवान शहीद हो गए।
दो साल पहले भी हुआ था हमला
दो साल पहले भी आतंकियों ने इसी इलाके के मोहरा में ऐसे ही एक हमले को अंजाम दिया था। पांच दिसंबर 2014 को हुए उस हमले में 10 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे।